शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और माँ दुर्गा के नौ रूपों की कथा

शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और माँ दुर्गा के नौ रूपों की कथा

शारदीय नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का सबसे बड़ा पर्व है। हर साल यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक मनाया जाता है। 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना, व्रत और हवन किया जाता है।

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि शक्ति की उपासना का पर्व है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में बुराई का अंत और अच्छाई का उत्सव होना ही धर्म का मार्ग है। नवरात्रि में माँ दुर्गा से शक्ति, ज्ञान, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति के लिए व्रत और पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 तिथि (Navratri 2025 Dates)

  • प्रारंभ — 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
  • समापन — 30 सितंबर 2025 (मंगलवार)

कलश स्थापना और पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
  2. मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और कलश स्थापित करें।
  3. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजन आरंभ करें।
  4. नौ दिनों तक माँ के नौ स्वरूपों की पूजा करें।
  5. दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन करें।
  6. नवमी पर कन्या पूजन कर व्रत का समापन करें।

माँ दुर्गा के नौ रूप

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

नवरात्रि कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राक्षस महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। देवताओं की प्रार्थना पर त्रिदेवों की शक्तियों से माँ दुर्गा का प्राकट्य हुआ। नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर माँ दुर्गा ने उसे पराजित किया। तभी से यह पर्व शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है।

इस समय क्या करें?

  • प्रतिदिन माँ दुर्गा के भजन और पाठ करें।
  • व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
  • घर में अखंड ज्योत जलाएं।
  • जरूरतमंदों को दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत, उपासना और सेवा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। माँ दुर्गा हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

उपसंहार

शारदीय नवरात्रि शक्ति, भक्ति और विश्वास का पर्व है। माँ दुर्गा के चरणों में आस्था रखने से जीवन में कभी भय नहीं आता। यह पर्व हमें जीवन में सकारात्मकता और सफलता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025) FAQs

1. शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025) कब से शुरू होगी?
शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 29 सितंबर 2025 (सोमवार) से होगी और समापन 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को होगा।

2. शारदीय नवरात्रि का क्या महत्व है?
यह नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का पर्व है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत और शक्ति, भक्ति और आत्मशुद्धि के लिए बेहद शुभ माना जाता है।

3. शारदीय नवरात्रि में कौन-कौन से देवी के रूप पूजे जाते हैं?
नवदुर्गा के रूप:

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

4. शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना कब करनी चाहिए?
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। 2025 में यह 29 सितंबर को प्रातः शुभ मुहूर्त में की जाएगी।

5. नवरात्रि में कौन-कौन से नियम का पालन करना चाहिए?

  • सात्विक भोजन करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • माता की आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

6. क्या नवरात्रि में व्रत रखना आवश्यक है?
व्रत रखना व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर करता है। बहुत से लोग पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग पहले और आखिरी दिन उपवास करते हैं।

7. नवरात्रि में कौन से भोग देवी को अर्पित किए जाते हैं?
हर दिन अलग-अलग देवी को उनकी पसंदीदा वस्तु जैसे नारियल, फल, दूध, मिश्री, गुड़, हलवा, चने, केसर आदि अर्पित किए जाते हैं।

8. कन्या पूजन कब किया जाता है?
नवमी या अष्टमी तिथि को नौ कन्याओं को भोजन कराकर उनका पूजन किया जाता है।

9. नवरात्रि के दौरान कौन से मंत्र पढ़े जाते हैं?

  • “या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”
  • दुर्गा सप्तशती के श्लोक और कवच का पाठ भी किया जाता है।

10. नवरात्रि का समापन कैसे किया जाता है?
नवरात्रि का समापन हवन, कन्या पूजन और देवी के विसर्जन के साथ किया जाता है। इसके बाद परिवारजन प्रसाद ग्रहण करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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रक्षा बंधन 2025 (Raksha Bandhan 2025): तिथि, महत्व, राखी बांधने की विधि और पौराणिक कथा

रक्षा बंधन 2025: तिथि, महत्व, राखी बांधने की विधि और पौराणिक कथा

रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार है, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। बदले में भाई जीवन भर बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। 2025 में रक्षा बंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षा बंधन का महत्व

रक्षा बंधन का पर्व स्नेह, विश्वास और कर्तव्य का प्रतीक है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का अवसर देता है। रक्षा सूत्र बांधने से आपसी प्रेम और विश्वास और भी गहरा होता है।

रक्षा बंधन 2025 तिथि (Raksha Bandhan 2025 Dates)

  • तिथि — 9 अगस्त 2025
  • वार — शनिवार

राखी बांधने की विधि

  1. सबसे पहले भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बैठाएं।
  2. भाई की कलाई पर कुमकुम, चावल का तिलक लगाएं।
  3. मिठाई खिलाएं और रक्षा सूत्र बांधें।
  4. भाई का आशीर्वाद लें और उसके अच्छे जीवन की कामना करें।
  5. भाई उपहार और रक्षा का वचन दे।

रक्षा बंधन की कथा

कहा जाता है कि जब भगवान इंद्र और असुरों के बीच युद्ध हुआ था, तब इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे उन्हें विजय प्राप्त हुई। इसके अलावा, द्रौपदी और श्रीकृष्ण की रक्षा बंधन कथा भी प्रसिद्ध है, जिसमें द्रौपदी ने कृष्ण के हाथ से निकले खून को अपने आंचल से बांधा था और कृष्ण ने जीवन भर उसकी रक्षा का वचन दिया।

इस दिन क्या करें?

  • भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार दें।
  • गरीब बच्चों को मिठाई और कपड़े दान करें।
  • भाइयों को चाहिए कि वे अपनी बहनों की खुशियों का ख्याल रखें।
  • परिवार में सभी सदस्य मिलकर इस पर्व को मनाएं।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि राखी केवल धागा नहीं होती, यह रिश्तों की डोर है। इसे बांधने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

उपसंहार

रक्षा बंधन केवल भाई-बहन का पर्व नहीं है, यह रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में परिवार, प्रेम और कर्तव्य सबसे महत्वपूर्ण हैं। रक्षा बंधन पर रक्षा का यह संकल्प हमेशा निभाना चाहिए।


FAQ: रक्षा बंधन 2025 (Raksha Bandhan 2025)

प्रश्न 1: रक्षा बंधन 2025 (Raksha Bandhan 2025) में कब मनाया जाएगा?
उत्तर: रक्षा बंधन 2025 में 9 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

प्रश्न 2: रक्षा बंधन का क्या महत्व है?
उत्तर: रक्षा बंधन भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है।

प्रश्न 3: रक्षा बंधन पर क्या विशेष परंपरा निभाई जाती है?
उत्तर: बहन भाई को तिलक लगाकर उसकी कलाई में राखी बांधती है और मिठाई खिलाती है। भाई बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।

प्रश्न 4: रक्षा बंधन का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह पर्व प्रेम, सुरक्षा, और पारिवारिक बंधन को मजबूत करने का संदेश देता है। साथ ही भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास और सहयोग का प्रतीक है।

प्रश्न 5: क्या रक्षा बंधन पर व्रत रखना जरूरी है?
उत्तर: नहीं, इस दिन व्रत रखने की परंपरा नहीं है, लेकिन कई बहनें सुबह स्नान कर उपवास करती हैं और राखी बांधने के बाद भोजन करती हैं।

प्रश्न 6: रक्षा बंधन पर किन चीजों का दान करें?
उत्तर: इस दिन अन्न, वस्त्र, मिठाई और जरूरतमंदों को दान करना पुण्यकारी होता है।

प्रश्न 7: क्या बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए कोई मंत्र बोल सकती हैं?
उत्तर: हां, राखी बांधते समय यह मंत्र बोलना शुभ होता है —
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।”

प्रश्न 8: रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है और भाई अपनी बहन को जीवनभर सुरक्षा देने का वचन देता है।

प्रश्न 9: क्या इस दिन बहनें भाई के घर जा सकती हैं?
उत्तर: हां, परंपरागत रूप से बहनें भाई के घर जाकर राखी बांधती हैं। यदि संभव न हो, तो आजकल डाक या ऑनलाइन माध्यम से भी राखी भेजी जाती है।

प्रश्न 10: रक्षा बंधन का सामाजिक संदेश क्या है?
उत्तर: रक्षा बंधन समाज में प्रेम, सहयोग, और विश्वास का संदेश देता है, साथ ही महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का भी प्रतीक है।

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कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (Krishna Janmashtami 2025): जानिए तिथि, महत्व, पूजा विधि और श्रीकृष्ण जन्म कथा

कृष्ण जन्माष्टमी 2025: जानिए तिथि, महत्व, पूजा विधि और श्रीकृष्ण जन्म कथा

कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। 2025 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।

जन्माष्टमी का महत्व

भगवान श्रीकृष्ण ने धरती पर धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए अवतार लिया था। उनका जीवन प्रेम, करुणा, ज्ञान और मस्ती से भरा हुआ था। जन्माष्टमी पर उपवास और पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है।

जन्माष्टमी 2025 तिथि (Krishna Janmashtami 2025 Dates)

  • तिथि — 16 अगस्त 2025
  • वार — शनिवार

पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. रात्रि में श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
  3. माखन, मिश्री, तुलसी पत्र, और फूल चढ़ाएं।
  4. 12 बजे रात्रि को भगवान का जन्मोत्सव मनाएं।
  5. घंटा-घड़ियाल बजाकर श्रीकृष्ण का जयकारा लगाएं।
  6. कथा और आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।

श्रीकृष्ण जन्म कथा

कंस के अत्याचार से त्रस्त पृथ्वी पर जब पाप का भार बढ़ गया, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण रूप में देवकी और वासुदेव के घर अवतार लिया। वसुदेव जी ने कृष्ण को मथुरा से गोकुल नंद बाबा के घर पहुंचाया। वहां कृष्ण ने बाल लीला कर सभी का मन मोहा और बड़े होकर कंस का वध कर धर्म की स्थापना की।

क्या करें इस दिन?

  • उपवास करें और रात्रि में व्रत खोलें।
  • श्रीकृष्ण के बाल रूप को झूला झुलाएं।
  • रासलीला, दही हांडी का आयोजन करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि जो व्यक्ति जन्माष्टमी के दिन व्रत रखकर श्रीकृष्ण का नाम स्मरण करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सभी सुख मिलते हैं।

उपसंहार

कृष्ण जन्माष्टमी प्रेम, भक्ति और आनंद का पर्व है। भगवान कृष्ण का जीवन सिखाता है कि हर परिस्थिति में धैर्य और सकारात्मकता बनाए रखनी चाहिए। उनकी लीलाओं से हमें सरलता और सच्चे कर्म का पाठ मिलता है।


FAQ: कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (Krishna Janmashtami 2025)

प्रश्न 1: कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (Krishna Janmashtami 2025) में कब मनाई जाएगी?
उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी 2025 में 16 अगस्त को मनाई जाएगी। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

प्रश्न 2: कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?
उत्तर: यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण को प्रेम, करुणा, और धर्म के पालन का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 3: जन्माष्टमी पर किस प्रकार की पूजा की जाती है?
उत्तर: इस दिन व्रत रखा जाता है, झूला सजाया जाता है, कृष्ण भगवान की मूर्ति का अभिषेक कर पूजा की जाती है, भजन-कीर्तन होता है और रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

प्रश्न 4: कृष्ण जन्माष्टमी पर कौन से मंत्र का जाप करें?
उत्तर: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने” का जाप करना शुभ होता है।

प्रश्न 5: जन्माष्टमी का सामाजिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह पर्व प्रेम, सेवा, अहिंसा, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न 6: क्या इस दिन उपवास रखना आवश्यक है?
उत्तर: हां, भक्तगण इस दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं और रात्रि में भगवान के जन्म के बाद व्रत का पारण करते हैं।

प्रश्न 7: इस दिन क्या भोग अर्पित करना चाहिए?
उत्तर: माखन-मिश्री, दूध, पंचामृत, फल और विभिन्न मिठाइयाँ भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती हैं।

प्रश्न 8: क्या बाल गोपाल की झांकी सजाना शुभ है?
उत्तर: हां, झांकी सजाकर भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को प्रदर्शित करना अत्यंत शुभ और आनंददायक माना जाता है।

प्रश्न 9: कृष्ण जन्माष्टमी का आध्यात्मिक संदेश क्या है?
उत्तर: जीवन में धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना और सभी के प्रति प्रेम और करुणा रखना।

प्रश्न 10: जन्माष्टमी पर दान करना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल मिलता है। अन्न, वस्त्र, और जरूरतमंदों को दान करना शुभ और पुण्यकारी होता है।

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गंगा दशहरा 2025 (Ganga Dussera 2025): जानिए तारीख, महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

गंगा दशहरा 2025: जानिए तारीख, महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

गंगा दशहरा हिंदू धर्म का बेहद पावन पर्व है। यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। 2025 में गंगा दशहरा 4 जून को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सारे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

गंगा दशहरा का महत्व

गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं। इस दिन व्रत, पूजा और दान का विशेष महत्व है। मां गंगा को पवित्रता, जीवन और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।

गंगा दशहरा 2025 तिथि (Ganga Dussera 2025 Dates)

  • तिथि — 4 जून 2025
  • वार — बुधवार

पूजा विधि

  1. प्रात:काल स्नान करके गंगा तट जाएं या घर पर गंगाजल से स्नान करें।
  2. गंगा माता की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. धूप, पुष्प, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें।
  4. गंगा स्तोत्र या गंगा लहरी का पाठ करें।
  5. दस बार ‘गंगे च यमुने चैव…’ मंत्र का जाप करें।
  6. गंगा जल को घर में छिड़कें और अपने घर को पवित्र करें।

कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने धरती पर अवतरण किया। गंगा के वेग को संभालने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया और फिर धीरे-धीरे उन्हें धरती पर प्रवाहित किया। इस दिन गंगा माता के दर्शन और स्नान से जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

गंगा दशहरा पर क्या करें?

  • गंगा में स्नान करें और पूजा करें।
  • जरूरतमंदों को जल, फल, वस्त्र और धन का दान करें।
  • गाय, ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराएं।
  • घर में गंगाजल छिड़क कर वातावरण को शुद्ध करें।

विशेष मान्यता

गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस दिन दान का विशेष महत्व है।

उपसंहार

गंगा दशहरा पवित्रता और मोक्ष का पर्व है। यह दिन याद दिलाता है कि प्रकृति, जल और नदियों का आदर करना चाहिए। गंगा माता हमें सिखाती हैं कि सेवा और त्याग से ही जीवन में सच्ची सफलता और शांति मिलती है।


FAQ गंगा दशहरा 2025 (Ganga Dussera 2025)

प्रश्न 1: गंगा दशहरा (Ganga Dussera 2025) 2025 कब मनाया जाएगा?
उत्तर: गंगा दशहरा 2025 में 4 जून को मनाया जाएगा।

प्रश्न 2: गंगा दशहरा का क्या महत्व है?
उत्तर: गंगा दशहरा उस दिन को मनाने का पर्व है जब माता गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुईं थीं। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 3: गंगा दशहरा पर क्या विशेष कार्य किए जाते हैं?
उत्तर: इस दिन गंगा नदी में स्नान किया जाता है, गंगा माता की पूजा की जाती है, दीप दान किया जाता है और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है।

प्रश्न 4: गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: मान्यता है कि इस दिन गंगा जी के दर्शन और स्नान से दस प्रकार के पापों का नाश हो जाता है। इसलिए इसे ‘दशहरा’ कहा जाता है।

प्रश्न 5: अगर गंगा नदी के पास न जा पाएं तो क्या करें?
उत्तर: जो लोग गंगा नदी के पास नहीं जा सकते, वे घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और गंगा माता का ध्यान करते हुए पूजा करें।

प्रश्न 6: गंगा दशहरा पर कौन सा मंत्र पढ़ा जाता है?
उत्तर: ‘ॐ नमः शिवाय गंगायै नमः’ और ‘गंगे च यमुने चैव’ मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है।

प्रश्न 7: गंगा दशहरा पर क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: इस दिन जल से भरे कलश, फल, अनाज, वस्त्र, पंखा और तिल का दान करना पुण्यकारी होता है।

प्रश्न 8: गंगा दशहरा पर क्या व्रत रखा जाता है?
उत्तर: इस दिन लोग उपवास रखते हैं और गंगा माता की पूजा करके सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

प्रश्न 9: क्या गंगा दशहरा केवल गंगा तट पर मनाया जाता है?
उत्तर: नहीं, इसे देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहाँ गंगाजल उपलब्ध होता है।

प्रश्न 10: गंगा दशहरा का क्या आध्यात्मिक संदेश है?
उत्तर: गंगा दशहरा का संदेश है कि जीवन में पवित्रता, सरलता, और दान-पुण्य को अपनाकर अपने पापों का प्रायश्चित किया जा सकता है और मोक्ष की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है।

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निर्जला एकादशी 2025 (Nirjala Ekadashi 2025): जानिए तिथि, महत्व, व्रत विधि और कथा

निर्जला एकादशी 2025: जानिए तिथि, महत्व, व्रत विधि और कथा

निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। इसका पालन बिना जल ग्रहण किए किया जाता है, इसलिए इसका नाम ‘निर्जला’ पड़ा। यह एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। 2025 में निर्जला एकादशी 6 जून को मनाई जाएगी। इस दिन का उपवास और दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है।

निर्जला एकादशी का महत्व

कहा जाता है कि साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य एक ही बार निर्जला एकादशी करने से मिल जाता है। यह व्रत जीवन में सुख, स्वास्थ्य और मोक्ष देने वाला होता है।

निर्जला एकादशी तिथि 2025 (Nirjala Ekadashi 2025)

  • तिथि — 6 जून 2025
  • वार — शुक्रवार

व्रत नियम और पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
  2. पीले वस्त्र और पीला चंदन अर्पित करें।
  3. तुलसी दल, धूप, दीप और पुष्प चढ़ाएं।
  4. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  5. पूरे दिन जल तक ग्रहण न करें और प्रभु का स्मरण करें।
  6. अगले दिन पारण करके अन्न और जल ग्रहण करें।

व्रत का विशेष नियम

निर्जला व्रत सबसे कठिन व्रत माना जाता है। इस दिन व्रती को बिना पानी और अन्न के रहना होता है। केवल भगवान विष्णु का नाम स्मरण और भजन-कीर्तन करना चाहिए।

कथा

कथा के अनुसार, भीमसेन जी ने श्री व्यास जी से निवेदन किया कि वह साल भर की एकादशी का पालन नहीं कर पाते। तब व्यास जी ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने को कहा और बताया कि इस एक व्रत से साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। भीमसेन ने यह कठिन व्रत किया और उन्हें अद्भुत पुण्य प्राप्त हुआ।

इस दिन क्या करें?

  • गरीबों को जल पिलाना और दान देना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
  • मंदिर में दीपदान करें।
  • जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े और धन का दान करें।
  • गौ सेवा करें।

विशेष मान्यता

निर्जला एकादशी के दिन जल का दान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और सभी पापों का नाश हो जाता है। इस दिन व्रत रखने से सौ जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं।

उपसंहार

निर्जला एकादशी का व्रत आत्म-नियंत्रण और आस्था का प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में संयम और भक्ति से ही मोक्ष और शांति प्राप्त होती है। भगवान विष्णु की कृपा पाने का यह सर्वोत्तम मार्ग है।


FAQ निर्जला एकादशी 2025 (Nirjala Ekadashi 2025)

प्रश्न 1: निर्जला एकादशी 2025 (Nirjala Ekadashi 2025) में कब है?
उत्तर: निर्जला एकादशी 2025 में 5 जून को मनाई जाएगी।

प्रश्न 2: निर्जला एकादशी का क्या महत्व है?
उत्तर: निर्जला एकादशी सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी मानी जाती है। इसमें बिना जल और अन्न ग्रहण किए उपवास रखा जाता है। इसका पालन करने से साल की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

प्रश्न 3: निर्जला एकादशी व्रत कैसे रखा जाता है?
उत्तर: इस दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूरे दिन बिना जल और अन्न ग्रहण किए उपवास रखा जाता है, और रात्रि में भगवान का भजन-कीर्तन किया जाता है।

प्रश्न 4: निर्जला एकादशी का क्या लाभ है?
उत्तर: मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत संपूर्ण एकादशी व्रतों के बराबर फल देता है।

प्रश्न 5: निर्जला एकादशी पर कौन से भगवान की पूजा होती है?
उत्तर: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है।

प्रश्न 6: क्या निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल के रखना अनिवार्य है?
उत्तर: परंपरानुसार यह व्रत निर्जल रखा जाता है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो जल और फलाहार के साथ भी व्रत किया जा सकता है।

प्रश्न 7: क्या निर्जला एकादशी पर दान का महत्व है?
उत्तर: जी हां, इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है। खासकर जल, छाता, वस्त्र, अनाज, पंखा और धन का दान करना शुभ होता है।

प्रश्न 8: निर्जला एकादशी पर कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?
उत्तर: इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना शुभ और पुण्यदायक होता है।

प्रश्न 9: क्या निर्जला एकादशी व्रत में रात भर जागरण करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, इस दिन रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करना विशेष लाभकारी माना जाता है।

प्रश्न 10: निर्जला एकादशी का धार्मिक संदेश क्या है?
उत्तर: यह व्रत संयम, आत्मशुद्धि, और भक्ति का प्रतीक है। इसके पालन से आत्मबल और ईश्वर के प्रति आस्था मजबूत होती है।

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हरियाली तीज 2025 (Hariyali Teej 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

हरियाली तीज 2025 (Hariyali Teej 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

हरियाली तीज विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व हरियाली, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। 2025 में हरियाली तीज 30 जुलाई को मनाई जाएगी।

हरियाली तीज का महत्व

इस पर्व का संबंध माता पार्वती और भगवान शिव से है। इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने तप से प्राप्त किया था। यह व्रत महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और अखंड सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।

हरियाली तीज 2025 तिथि

  • तिथि — 30 जुलाई 2025
  • वार — बुधवार

पूजा विधि

  1. प्रात:काल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. मिट्टी या धातु की प्रतिमा में भगवान शिव और माता पार्वती की स्थापना करें।
  3. सिंदूर, चूड़ियां, मेंहदी और वस्त्र अर्पित करें।
  4. हरियाली से सजावट करें और झूला डालें।
  5. शिव-पार्वती की कथा पढ़ें और भजन-कीर्तन करें।
  6. शाम को व्रत का पारण करें।

व्रत का नियम

व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर निर्जल या फलाहार रहकर पूजा करती हैं। वे एक-दूसरे को तीज के उपहार, श्रृंगार और मिठाइयां देती हैं।

कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए 107 जन्मों तक तपस्या की थी। 108वें जन्म में उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी स्वीकार किया। उस समय तृतीया तिथि थी, जो हरियाली तीज के रूप में मनाई जाती है।

इस दिन क्या करें?

  • सुहागिन महिलाएं झूला झूलें और पारंपरिक गीत गाएं।
  • मेंहदी लगाएं और श्रृंगार करें।
  • जरूरतमंद महिलाओं को वस्त्र, श्रृंगार का सामान और मिठाइयां दान करें।
  • भगवान शिव-पार्वती की पूजा करके अखंड सौभाग्य की कामना करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पति-पत्नी का जीवन सुखमय रहता है। नवविवाहित महिलाएं विशेष रूप से इस दिन व्रत करती हैं और अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।

उपसंहार

हरियाली तीज न केवल एक पर्व है बल्कि प्रेम, समर्पण और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। यह पर्व सिखाता है कि धैर्य, तपस्या और भक्ति से हर इच्छा पूर्ण हो सकती है। हरियाली तीज पर हर स्त्री को अपने जीवन को सुंदर और सकारात्मक बनाने का अवसर मिलता है।

FAQ – हरियाली तीज 2025 (Hariyali Teej 2025)

Q1: हरियाली तीज 2025 में कब है?
A1: हरियाली तीज 2025 में 29 जुलाई को मनाई जाएगी।

Q2: हरियाली तीज क्या है और क्यों मनाई जाती है?
A2: हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।

Q3: हरियाली तीज को क्या-क्या नामों से जाना जाता है?
A3: हरियाली तीज को श्रावणी तीज और छोटी तीज भी कहा जाता है।

Q4: हरियाली तीज पर कौन सी विशेष परंपरा होती है?
A4: इस दिन महिलाएँ हरे वस्त्र पहनती हैं, झूले झूलती हैं, हाथों में मेहंदी लगाती हैं और हरियाली तीज व्रत कथा सुनती हैं।

Q5: क्या हरियाली तीज का कोई आध्यात्मिक महत्व है?
A5: हाँ, यह पर्व जीवन में समर्पण, प्रेम और पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है।

Q6: हरियाली तीज पर कौन से देवी-देवता की पूजा की जाती है?
A6: इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा की जाती है।

Q7: हरियाली तीज पर व्रत कैसे रखा जाता है?
A7: महिलाएँ पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और रात में कथा सुनने के बाद व्रत खोलती हैं।

Q8: क्या हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने का कोई विशेष महत्व है?
A8: जी हाँ, मेहंदी लगाने से सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, और यह इस पर्व की विशेष परंपरा है।

Q9: हरियाली तीज में क्या विशेष भोजन बनाया जाता है?
A9: इस दिन घेवर, मालपुआ, पूड़ी, हलवा आदि पारंपरिक मिठाइयाँ और व्यंजन बनाए जाते हैं।

Q10: हरियाली तीज किस प्रदेश में विशेष रूप से मनाई जाती है?
A10: हरियाली तीज विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और हरियाणा में धूमधाम से मनाई जाती है।

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दशहरा 2025 (Dussera 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और विजयादशमी की कथा

दशहरा 2025 (Dussera 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और विजयादशमी की कथा

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व है। यह पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन कर बुराई पर विजय का उत्सव मनाया जाता है। 2025 में दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

दशहरा का महत्व

दशहरा पर्व जीवन में यह सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो, सत्य और अच्छाई के आगे उसका अंत निश्चित है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहते हैं।

दशहरा 2025 (Dussera 2025) तिथि

  • तिथि — 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)

पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर घर में पूजा स्थान को सजाएं।
  2. शस्त्र पूजन करें और भगवान श्रीराम का ध्यान करें।
  3. घर के सभी बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
  4. शाम को रामलीला मैदान में जाकर रावण दहन देखें।
  5. प्रसाद वितरण कर पर्व का आनंद लें।

विजयादशमी की कथा

त्रेता युग में रावण ने माता सीता का हरण किया। भगवान श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण और वानर सेना की सहायता से रावण के खिलाफ युद्ध किया और अंततः विजय प्राप्त की। रावण का वध कर भगवान राम ने धर्म की स्थापना की। तभी से इस दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन क्या करें?

  • अपने हथियारों और वाहनों का पूजन करें।
  • बच्चों को रामायण की कथा सुनाएं।
  • परिवार सहित रावण दहन का आयोजन देखें।
  • गरीबों को अन्न, कपड़े और मिठाई दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि दशहरा के दिन नया कार्य प्रारंभ करने से सफलता मिलती है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करना मंगलकारी होता है।

उपसंहार

दशहरा केवल बुराई के अंत का पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में सच्चाई और अच्छे कर्मों पर चलने की प्रेरणा भी देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि धैर्य, साहस और सत्य के साथ जीवन में कोई भी चुनौती जीती जा सकती है।

FAQ – दशहरा 2025 (Dussera 2025)

Q1: दशहरा 2025 में कब मनाया जाएगा?
A1: दशहरा (विजयदशमी) 2025 में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

Q2: दशहरा क्यों मनाया जाता है?
A2: दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।

Q3: क्या दशहरे पर रावण दहन का विशेष महत्व है?
A3: हाँ, दशहरे पर रावण दहन बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

Q4: दशहरा किसे समर्पित होता है — राम या दुर्गा?
A4: दशहरा दोनों रूपों में मनाया जाता है। यह भगवान राम की रावण पर विजय और मां दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है।

Q5: क्या दशहरा के दिन व्रत रखा जाता है?
A5: कई लोग दशहरे के दिन उपवास रखते हैं और भगवान राम व मां दुर्गा की पूजा करते हैं।

Q6: रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?
A6: रावण दहन का मुहूर्त शाम के समय विजय मुहूर्त में होता है, जो हर वर्ष अलग-अलग निकलता है।

Q7: क्या दशहरे पर शस्त्र पूजन का महत्व है?
A7: जी हाँ, दशहरे पर शस्त्र पूजन और वाहन पूजन का विशेष महत्व होता है।

Q8: दशहरे पर क्या करना शुभ माना जाता है?
A8: इस दिन नए कार्य शुरू करना, शस्त्र पूजन, और विजय के प्रतीक स्वरूप पूजा-पाठ करना शुभ होता है।

Q9: क्या दशहरे का संबंध नवरात्रि से है?
A9: हाँ, दशहरा नवरात्रि के तुरंत बाद मनाया जाता है और मां दुर्गा की विजय का भी प्रतीक है।

Q10: क्या दशहरे के दिन कोई विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं?
A10: हाँ, इस दिन घरों में हलवा, पूड़ी, चने, और विभिन्न मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।

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शरद पूर्णिमा 2025 (Sharad Purnima 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और कोजागरी व्रत कथा

शरद पूर्णिमा 2025 (Sharad Purnima 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और कोजागरी व्रत कथा

शरद पूर्णिमा कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है। यह पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ प्रकट होता है और माना जाता है कि उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस रात को जागरण कर मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है।

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को धन-वैभव का आशीर्वाद देती हैं। इस रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं और खीर को खुले आसमान में रखने से उसमें अमृत तत्व आ जाते हैं।

शरद पूर्णिमा 2025 (Sharad Purnima 2025) तिथि

  • तिथि — 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार)

पूजा विधि

  1. शाम के समय घर को साफ कर पूजन स्थल सजाएं।
  2. मां लक्ष्मी और चंद्रमा की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
  3. खीर बनाएं और उसे चंद्रमा की किरणों में रखें।
  4. रात्रि जागरण कर मां लक्ष्मी और चंद्रदेव का स्मरण करें।
  5. अगले दिन प्रातः खीर का प्रसाद ग्रहण करें और बांटें।

कोजागरी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक निर्धन ब्राह्मण दंपति को कोजागरी व्रत करने का उपदेश दिया गया। उन्होंने श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन किया और रातभर जागरण किया। मां लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर उन्हें धन-सम्पत्ति का आशीर्वाद दिया और उनके जीवन में खुशहाली आ गई।

क्या करें इस दिन?

  • संध्या के समय लक्ष्मी पूजन करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें और खीर का भोग लगाएं।
  • रात्रि जागरण करें और मंत्रों का जप करें।
  • जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात जो भी मनोकामना मां लक्ष्मी के सामने मांगी जाती है, वह पूर्ण होती है। यह रात सुख, समृद्धि और आरोग्यता प्रदान करने वाली मानी जाती है।

उपसंहार

शरद पूर्णिमा का पर्व जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने वाला है। यह दिन हमें सिखाता है कि श्रद्धा और भक्ति से हर कठिनाई दूर हो सकती है और मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन आनंदमय हो जाता है।

FAQ – शरद पूर्णिमा 2025 (Sharad Purnima 2025)

Q1: शरद पूर्णिमा 2025 (Sharad Purnima 2025) में कब है?
A1: शरद पूर्णिमा 2025 में 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

Q2: शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
A2: शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के जन्मदिवस के रूप में और चंद्रमा के संपूर्ण सौंदर्य के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह रात चंद्रमा से अमृत वर्षा होने का माना जाता है।

Q3: क्या शरद पूर्णिमा पर व्रत रखा जाता है?
A3: हाँ, शरद पूर्णिमा पर उपवास रखा जाता है और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ा जाता है।

Q4: शरद पूर्णिमा की रात को खीर क्यों बनाई जाती है?
A4: इस रात को खुले आसमान के नीचे खीर रखने से चंद्रमा की किरणें उसमें अमृत समान गुण प्रदान करती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है।

Q5: शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व क्या है?
A5: यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान चंद्र को प्रसन्न करने का अवसर होता है और इस दिन धन, सुख, और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

Q6: क्या शरद पूर्णिमा को कौमुदी उत्सव भी कहते हैं?
A6: जी हाँ, शरद पूर्णिमा को कौमुदी उत्सव भी कहा जाता है, जिसमें चंद्रमा की चांदनी में पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

Q7: क्या शरद पूर्णिमा पर विशेष पूजन विधि है?
A7: हाँ, इस दिन रात को मां लक्ष्मी और भगवान चंद्र की पूजा की जाती है, व्रत किया जाता है और खीर का भोग अर्पित किया जाता है।

Q8: क्या शरद पूर्णिमा के दिन कोई ज्योतिषीय महत्व भी है?
A8: हाँ, इस दिन चंद्रमा अपनी संपूर्णता में रहता है और इसे मानसिक शांति, आरोग्य और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।

Q9: शरद पूर्णिमा पर क्या दान करना चाहिए?
A9: इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

Q10: क्या शरद पूर्णिमा पर कोई कथा भी सुननी चाहिए?
A10: जी हाँ, इस दिन शरद पूर्णिमा व्रत कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत फलदायक और शुभ माना जाता है।

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