चतुर्थी व्रत विधि और कथा: भगवान गणेश की कृपा पाने का सरल उपाय

हिंदू धर्म में चतुर्थी व्रत (Chaturthi Vrat) का विशेष स्थान है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और हर महीने दो बार (शुक्ल व कृष्ण पक्ष की चतुर्थी) को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से विघ्नहर्ता गणेश प्रसन्न होकर जीवन के सभी संकट दूर करते है। इस ब्लॉग में हम चतुर्थी व्रत की कथा, पूजा विधि, और इसके लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

चतुर्थी व्रत का महत्व

चतुर्थी को “गणेश चतुर्थी” या “संकष्टी चतुर्थी” भी कहा जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर गणेश जन्मोत्सव मनाया जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (संकष्टी) पर चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ा जाता है। यह व्रत सुख-समृद्धि, नौकरी में सफलता, और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता हैं।

चतुर्थी व्रत कथा (Chaturthi Katha)

एक गाँव में एक गरीब बुढ़िया रहती थी। उसका एकलौता बेटा समुद्र में मछली पकड़ने गया, लेकिन वापस नहीं आया। बुढ़िया ने संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा और गणेश जी से प्रार्थना की। उसने पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया। गणेश जी प्रसन्न हुए और उसके बेटे को समुद्र से सुरक्षित लौटा दिया। तब से मान्यता है कि चतुर्थी व्रत से हर मुसीबत टल जाती है।

चतुर्थी व्रत विधि (Vrat Vidhi)

  1. संकल्प: सुबह स्नान करके लाल या पीले वस्त्र पहनें। गणेश जी की मूर्ति के सामने व्रत का संकल्प लें।
  2. उपवास: दिनभर निर्जला या फलाहार व्रत रखें। कुछ लोग साबुदाना खिचड़ी या मूंगफली खाते है।
  3. पूजा विधि:
  • गणेश मूर्ति को सिंदूर चढ़ाएं और दुर्वा घास, मोदक, लड्डू अर्पित करें।
  • “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें (संकष्टी पर)।
  1. कथा पाठ: चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  2. पारण: अगले दिन सुबह ब्राह्मण को मीठा प्रसाद देकर व्रत तोड़ें।

पूजा सामग्री (Samagri)

  • गणेश मूर्ति, लाल फूल, सिंदूर
  • दुर्वा घास, मोदक, नारियल
  • घी का दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम
  • चावल, फल, और मिठाई

व्रत के लाभ

  • नौकरी, व्यापार, और पढ़ाई में सफलता
  • विवाह में आ रही देरी दूर होना
  • मानसिक तनाव और शत्रु दोष से मुक्ति
  • संतान सुख और पारिवारिक शांति

सावधानियाँ

  • व्रत के दिन बैंगन, तुलसी, और नींबू न खाएं
  • झूठ बोलने या नकारात्मक बातें करने से बचें
  • चंद्रमा दर्शन के बिना व्रत न तोड़ें (संकष्टी पर)

निष्कर्ष

चतुर्थी व्रत (Chaturthi Vrat) भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। भगवान गणेश सभी के जीवन से विघ्न हटाकर मंगलमय मार्ग प्रशस्त करें। अगर आप भी किसी समस्या से जूझ रहे है, तो यह व्रत अवश्य करें।


FAQs (सामान्य प्रश्न)

Q1. चतुर्थी पर कौन-सा भोजन बनाएं?
A. साबुदाना खिचड़ी, मूंगफली की चिक्की, या कोई मीठा व्यंजन बनाएं।

Q2. क्या पीरियड्स में चतुर्थी व्रत रख सकते हैं?
A. हां, लेकिन मूर्ति स्पर्श न करें। मानसिक जाप करें।

Q3. अगर चंद्रमा दिखाई न दे तो क्या करें?
A. बादल होने पर चंद्र देवता का ध्यान करके अर्घ्य दें।

Q4. बच्चे इस व्रत में क्या खा सकते हैं?
A. दूध, फल, या सेंधा नमक वाला भोजन ले सकते है।


यह ब्लॉग चतुर्थी व्रत (Chaturthi Vrat Katha) से जुड़ी पूरी जानकारी देने का प्रयास है। गणपति बप्पा सभी को सुखी रखें!

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