भाई दूज 2025 (Bhai Dooj 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और यम-यमी कथा

भाई दूज 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और यम-यमी कथा

भाई दूज, भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का पावन पर्व है। यह दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए तिलक करती हैं और मिठाई खिलाती हैं। 2025 में भाई दूज का त्योहार 21 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को आमंत्रित कर तिलक करती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं। बदले में भाई बहनों को उपहार और आशीर्वाद देते हैं।

भाई दूज 2025 तिथि (Bhai Dooj 2025 Dates)

  • तिथि — 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)

पूजा विधि

  1. बहन अपने भाई को आमंत्रित करें।
  2. थाल सजाकर उसमें रोली, अक्षत, मिठाई और दीप रखें।
  3. भाई को तिलक लगाएं और आरती उतारें।
  4. भाई को मिठाई खिलाएं और उसके दीर्घायु की प्रार्थना करें।
  5. भाई बहन को उपहार देकर आशीर्वाद लें।

यम-यमी कथा

कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमी (यमुनाजी) के घर आए थे। यमी ने उन्हें तिलक लगाकर भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने वचन दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी और उसे किसी प्रकार का डर नहीं रहेगा। तभी से भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।

क्या करें इस दिन?

  • भाई अपनी बहन के घर जाएं और साथ भोजन करें।
  • बहनें भाई को तिलक करें और मिठाई खिलाएं।
  • जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि भाई दूज के दिन बहन का आशीर्वाद भाई को हर संकट से बचाता है और उनके जीवन में खुशहाली लाता है।

उपसंहार

भाई दूज का पर्व न सिर्फ रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि यह आपसी प्रेम, आदर और सहयोग का प्रतीक भी है। यह दिन भाई-बहन के अटूट बंधन को जीवनभर के लिए मजबूत करने का संदेश देता है।


FAQs भाई दूज 2025 (Bhai Dooj 2025)

1. भाई दूज 2025 (Bhai Dooj 2025) कब है?
भाई दूज 2025 3 नवंबर 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा।

2. भाई दूज का क्या महत्व है?
भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार है, जिसमें बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए तिलक करती है और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है।

3. भाई दूज को कौन-कौन से नामों से जाना जाता है?
भाई दूज को भाऊ बीज, भाई टीका और यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

4. भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
भाई दूज पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को प्रातः 11:30 से दोपहर 1:50 बजे तक रहेगा (स्थानीय पंचांग के अनुसार समय अलग-अलग हो सकता है)।

5. भाई दूज का धार्मिक महत्व क्या है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर आए थे, और उन्होंने बहन के स्नेह से प्रसन्न होकर वचन दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी, उसका भाई दीर्घायु और सुखी रहेगा।

6. भाई दूज की पूजा कैसे करें?

  • भाई को बुलाकर रोली, चावल और फूलों से तिलक करें।
  • आरती उतारें।
  • मिठाई और नारियल अर्पित करें।
  • भाई को उपहार और आशीर्वाद दें।

7. क्या भाई दूज पर व्रत रखना चाहिए?
कुछ स्थानों पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं और पूजा के बाद व्रत खोलती हैं।

8. भाई दूज पर क्या विशेष पकवान बनते हैं?
भाई दूज पर गुजिया, पूड़ी, हलवा, खीर, चूरमा और मिठाई आदि बनती हैं।

9. भाई दूज और रक्षाबंधन में क्या अंतर है?
रक्षाबंधन सावन महीने में आता है और राखी बांधने का पर्व है, जबकि भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद आता है और बहन अपने भाई का तिलक करती है।

10. क्या भाई दूज पर भाई को उपहार देना शुभ होता है?
हां, भाई को उपहार देना बहन के स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। साथ ही भाई भी बहन को आशीर्वाद और उपहार देता है।

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गोवर्धन पूजा 2025 (Govardhan Pooja 2025): तिथि, महत्व, पूजन विधि और गोवर्धन पर्वत की कथा

गोवर्धन पूजा 2025: तिथि, महत्व, पूजन विधि और गोवर्धन पर्वत की कथा

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र का अहंकार नष्ट करने और गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में मनाया जाता है। 2025 में गोवर्धन पूजा 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का अर्थ है प्रकृति और उसके संरक्षण का सम्मान। इस दिन गोवर्धन पर्वत का प्रतीक रूप में गोबर से चित्र बनाकर पूजा की जाती है और अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी।

गोवर्धन पूजा 2025 तिथि (Govardhan Pooja 2025 Dates)

  • तिथि — 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)

पूजा विधि

  1. प्रातःकाल घर को साफ कर रंगोली और अल्पना बनाएं।
  2. गोबर से गोवर्धन पर्वत का रूप बनाएं।
  3. अन्नकूट (विभिन्न पकवानों का भोग) बनाएं।
  4. दीप, धूप, पुष्प, जल से गोवर्धन पूजन करें।
  5. श्रीकृष्ण का स्मरण कर परिक्रमा करें।

गोवर्धन पर्वत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रदेव के घमंड को समाप्त करने के लिए श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। इंद्रदेव ने क्रोधित होकर वर्षा शुरू की, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी को बचाया। तब से यह पूजा हर वर्ष की जाती है।

क्या करें इस दिन?

  • घर में अन्नकूट का आयोजन करें।
  • गोवर्धन का प्रतीक बनाकर पूजा करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन और अन्न का दान करें।
  • परिक्रमा और श्रीकृष्ण का भजन करें।

विशेष मान्यता

गोवर्धन पूजा करने से घर में खुशहाली, अन्न-धन की वृद्धि और परिवार में शांति बनी रहती है।

उपसंहार

गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का संदेश देती है। यह पर्व दर्शाता है कि अहंकार का अंत निश्चित है और सच्ची भक्ति से हर संकट से उबरा जा सकता है।


गोवर्धन पूजा 2025 (Govardhan Pooja 2025) FAQs

1. गोवर्धन पूजा 2025 कब मनाई जाएगी?
गोवर्धन पूजा 2025 दिवाली के अगले दिन, 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।

2. गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है?
गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर गांववासियों को इन्द्रदेव के प्रकोप से बचाने की याद में मनाई जाती है। यह प्रकृति और भगवान के प्रति आभार का पर्व है।

3. गोवर्धन पूजा कैसे की जाती है?
इस दिन गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर गाय के गोबर से पर्वत का स्वरूप बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। लोग अन्नकूट (विभिन्न प्रकार के पकवान) बनाते हैं और भगवान को अर्पित करते हैं।

4. गोवर्धन पूजा के दिन कौन-कौन से विशेष उपाय किए जाते हैं?
लोग इस दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। गौ माता की पूजा करके आशीर्वाद लिया जाता है।

5. क्या गोवर्धन पूजा और अन्नकूट एक ही पर्व हैं?
जी हाँ, गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है। इस दिन अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

6. गोवर्धन पूजा के समय क्या मंत्र पढ़े जाते हैं?
प्रमुख मंत्र:
‘गोवर्धन धराधराय नमः’
‘श्रीकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः’

7. गोवर्धन पूजा में क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है?
अन्नकूट के रूप में कई प्रकार के व्यंजन, मिठाइयां, फल और दूध से बनी चीजें भगवान को अर्पित की जाती हैं।

8. क्या गोवर्धन पूजा पर व्रत रखा जाता है?
कुछ लोग उपवास रखते हैं और शाम को पूजा-अर्चना के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।

9. गोवर्धन पूजा करने से क्या लाभ होता है?
गोवर्धन पूजा करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और संकट से रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

10. क्या इस दिन गाय की पूजा का महत्व है?
हाँ, गोवर्धन पूजा पर गौ माता की पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि गाय को मां का दर्जा दिया गया है और यह भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय है।

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दीपावली 2025 (Diwali 2025): तिथि, महत्व, पूजन विधि और लक्ष्मी गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त

दीपावली 2025: तिथि, महत्व, पूजन विधि और लक्ष्मी गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त

दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्योहार है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। 2025 में दीपावली का त्योहार 19 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और घरों को दीपों से सजाया जाता है।

दीपावली का महत्व

दीपावली का पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से यह पर्व प्रकाश और समृद्धि का उत्सव बन गया।

दीपावली 2025 तिथि (Diwali 2025 Dates)

  • तिथि — 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)

लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त

  • शुभ मुहूर्त — संध्या काल में प्रदोष काल के समय।
  • इस समय मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है।

पूजा विधि

  1. संध्या के समय घर के आंगन और मंदिर को स्वच्छ करें।
  2. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. कलश स्थापित करें और दीप जलाएं।
  4. रोली, अक्षत, पुष्प और मिठाई से पूजा करें।
  5. लक्ष्मी माता को कमलगट्टे की माला अर्पित करें।
  6. घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाएं।
  7. लक्ष्मीजी के चरण चिह्न घर में बनाएं।

दीपावली कथा

रामायण के अनुसार, जब भगवान राम लंका विजय कर अयोध्या लौटे, तो पूरे अयोध्या को दीपों से सजाया गया था। यह परंपरा आज भी जीवित है। साथ ही समुद्र मंथन से अमावस्या की रात मां लक्ष्मी प्रकट हुईं और इस दिन उनकी पूजा से जीवन में सुख, धन और वैभव प्राप्त होता है।

क्या करें इस दिन?

  • पुराने कपड़े और बेकार वस्तुओं का दान करें।
  • घर को साफ-सुथरा रखें और दीपों से सजाएं।
  • जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • रात्रि को दीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश पूजन करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि दीपावली की रात मां लक्ष्मी घर में आती हैं और जहां स्वच्छता और दीपों का प्रकाश होता है, वहां स्थायी वास करती हैं।

उपसंहार

दीपावली का पर्व जीवन में उजाला, समृद्धि और नई ऊर्जा लेकर आता है। यह दिन हमें सिखाता है कि अच्छे कर्मों के साथ जीवन में हर अंधकार को हराया जा सकता है।


FAQ: दीपावली 2025 (Diwali 2025)

प्रश्न 1: दीपावली 2025 में कब मनाई जाएगी?
उत्तर: दीपावली 2025 में 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

प्रश्न 2: दीपावली क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: दीपावली भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

प्रश्न 3: दीपावली कितने दिनों का पर्व होता है?
उत्तर: दीपावली का पर्व 5 दिनों तक चलता है — धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली (मुख्य दिन), गोवर्धन पूजा और भाई दूज।

प्रश्न 4: दीपावली पर कौन-कौन से देवी-देवताओं की पूजा होती है?
उत्तर: मुख्य रूप से माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, और मां सरस्वती की पूजा की जाती है।

प्रश्न 5: दीपावली पर क्या विशेष परंपरा होती है?
उत्तर: दीपावली पर घर की सफाई, रंगोली, दीप जलाना, मिठाइयाँ बनाना और लक्ष्मी पूजन की परंपरा निभाई जाती है।

प्रश्न 6: दीपावली पर किस मंत्र का जाप करें?
उत्तर: लक्ष्मी पूजन के समय “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न 7: दीपावली पर क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: इस दिन अन्न, वस्त्र, दीप, और जरूरतमंदों को दान करना बहुत पुण्यकारी होता है।

प्रश्न 8: दीपावली का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह पर्व आत्मा के अंदर के अज्ञान और अंधकार को दूर कर ज्ञान और प्रकाश का मार्ग अपनाने का संदेश देता है।

प्रश्न 9: क्या दीपावली पर व्रत रखना आवश्यक है?
उत्तर: दीपावली पर व्रत रखने की परंपरा नहीं है, लेकिन कुछ लोग लक्ष्मी पूजन से पहले उपवास रखते हैं।

प्रश्न 10: दीपावली का सामाजिक संदेश क्या है?
उत्तर: दीपावली सामाजिक एकता, प्रेम, और सद्भाव का संदेश देती है। यह खुशियाँ बाँटने और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का पर्व है।

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धनतेरस 2025 (Dhanteras 2025): तिथि, महत्व, खरीदारी का शुभ समय और पूजन विधि

धनतेरस 2025: तिथि, महत्व, खरीदारी का शुभ समय और पूजन विधि

धनतेरस दीपावली पर्व का पहला दिन होता है, जिसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में धनतेरस का पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। साथ ही लोग सोना, चांदी, बर्तन और वाहन खरीदते हैं।

धनतेरस का महत्व

धनतेरस का पर्व सुख, समृद्धि और आरोग्यता का प्रतीक है। इस दिन की गई खरीदारी को शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। धनतेरस पर मां लक्ष्मी का स्वागत कर समृद्ध जीवन की कामना की जाती है।

धनतेरस 2025 (Dhanteras 2025) तिथि

  • तिथि — 17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)

शुभ मुहूर्त

  • खरीदारी का समय — प्रातः से लेकर देर रात तक शुभ रहता है।
  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त — संध्या समय प्रदोष काल में।

पूजन विधि

  1. संध्या को घर की सफाई कर दीप जलाएं।
  2. भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. रोली, अक्षत, फूल और मिठाई से पूजा करें।
  4. धातु के बर्तन में जल भरकर कलश की स्थापना करें।
  5. 13 दीप जलाकर दरवाजे और पूजा स्थल पर रखें।

धनतेरस की कथा

मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तभी से यह दिन स्वास्थ्य, आयु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

क्या करें इस दिन?

  • नया बर्तन, सोना-चांदी या इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदें।
  • दीप जलाकर मां लक्ष्मी का आवाहन करें।
  • जरूरतमंदों को दान और भोजन दें।

विशेष मान्यता

ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस पर की गई खरीदारी जीवन में खुशहाली और सौभाग्य लाती है। इस दिन गरीबों की मदद करने से पुण्य लाभ मिलता है।

उपसंहार

धनतेरस खुशहाली और समृद्धि का पर्व है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन में स्वास्थ्य और धन दोनों का संतुलन जरूरी है। मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद जीवन को सुखमय बनाता है।

FAQ – धनतेरस 2025 (Dhanteras 2025)

Q1: धनतेरस 2025 (Dhanteras 2025) में कब है?
A1: धनतेरस 2025 में 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

Q2: धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
A2: धनतेरस धन की देवी मां लक्ष्मी और धन्वंतरि भगवान की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन खरीदारी और नए वस्त्र, सोना-चांदी व बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।

Q3: धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होता है?
A3: इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, झाड़ू, और गृह उपयोग की चीजें खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Q4: क्या धनतेरस पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है?
A4: जी हाँ, धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है।

Q5: धनतेरस पर दीपक जलाने का क्या महत्व है?
A5: इस दिन घर के मुख्य द्वार और हर कोने पर दीपक जलाया जाता है ताकि दरिद्रता दूर हो और सुख-समृद्धि का वास हो।

Q6: क्या धनतेरस पर यम दीपक भी जलाया जाता है?
A6: हाँ, संध्या समय यमराज को प्रसन्न करने के लिए यम दीपक जलाने की परंपरा है जिससे अकाल मृत्यु का दोष नहीं लगता।

Q7: धनतेरस पर कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
A7: धनतेरस पर ‘ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

Q8: क्या धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है?
A8: जी हाँ, इस दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य दिवस भी मनाया जाता है, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं।

Q9: क्या धनतेरस पर कर्ज लेना या देना उचित है?
A9: नहीं, धनतेरस के दिन कर्ज लेना या देना अशुभ माना जाता है।

Q10: धनतेरस से दीपावली का क्या संबंध है?
A10: धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत मानी जाती है और यह त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, जिसमें सबसे पहले धनतेरस आता है।

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नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और नरकासुर वध कथा

नरक चतुर्दशी 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और नरकासुर वध कथा

नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, काली चौदस और छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। 2025 में नरक चतुर्दशी 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह स्नान और तिल दान का विशेष महत्व होता है और घर को दीपों से सजाया जाता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व

इस दिन प्रातःकाल स्नान करके तिल का दान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और नरक का भय समाप्त होता है। यह दिन रूप और सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध कर धरती को भयमुक्त किया था।

नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025) तिथि

  • तिथि — 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)

पूजा विधि

  1. सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करें।
  2. स्नान के बाद तिल दान करें और दीप जलाएं।
  3. घर में दीप जलाकर पवित्रता बनाए रखें।
  4. संध्या को भगवान श्रीकृष्ण और मां काली का पूजन करें।

नरकासुर वध कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर नामक राक्षस ने देवताओं और ऋषियों को परेशान किया और 16,100 कन्याओं का हरण किया। भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया और सभी कन्याओं को मुक्त किया। तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

क्या करें इस दिन?

  • सूर्योदय से पूर्व स्नान कर तिल और जल का दान करें।
  • घर में दीप जलाएं और सफाई करें।
  • जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करें।
  • संध्या को दीप सजाएं और प्रार्थना करें।

विशेष मान्यता

ऐसा कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने और दान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

उपसंहार

नरक चतुर्दशी आत्मशुद्धि, सुंदरता और पाप मुक्ति का पर्व है। यह दिन बुराई से मुक्ति और सद्भावना की ओर कदम बढ़ाने का संदेश देता है।

FAQ – नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025)

Q1: नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025) में कब है?
A1: नरक चतुर्दशी 2025 में 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

Q2: नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है?
A2: नरक चतुर्दशी बुराई और पाप से मुक्ति का पर्व है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,100 कन्याओं को मुक्त किया था।

Q3: क्या नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है?
A3: जी हाँ, नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है और यह दीपावली के एक दिन पहले आता है।

Q4: नरक चतुर्दशी के दिन क्या विशेष परंपरा है?
A4: इस दिन सुबह उबटन लगाकर स्नान करने और दीप जलाने की परंपरा है, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है।

Q5: नरक चतुर्दशी पर क्या शुभ माना जाता है?
A5: इस दिन स्नान के बाद पूजा करके दीप जलाना, बुरे कर्मों का त्याग करना, और मिठाई व दान देना शुभ माना जाता है।

Q6: क्या नरक चतुर्दशी पर व्रत भी रखा जाता है?
A6: हाँ, कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और संध्या काल में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

Q7: क्या नरक चतुर्दशी के दिन तेल स्नान का महत्व है?
A7: जी हाँ, इस दिन विशेष रूप से तेल उबटन और स्नान करने से रोग, दरिद्रता और पाप से मुक्ति मिलती है।

Q8: नरक चतुर्दशी का क्या आध्यात्मिक महत्व है?
A8: यह दिन जीवन से नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मकता और शुभ ऊर्जा को आमंत्रित करने का अवसर है।

Q9: क्या नरक चतुर्दशी के दिन विशेष भोजन बनता है?
A9: हाँ, इस दिन घरों में हलवा, पूड़ी, चने, और पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं।

Q10: नरक चतुर्दशी का संबंध किस देवता से है?
A10: नरक चतुर्दशी का सीधा संबंध भगवान कृष्ण और मां काली से है, जिन्होंने बुराई का नाश करके मानवता का कल्याण किया।

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