
नरक चतुर्दशी 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और नरकासुर वध कथा
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, काली चौदस और छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। 2025 में नरक चतुर्दशी 18 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह स्नान और तिल दान का विशेष महत्व होता है और घर को दीपों से सजाया जाता है।
नरक चतुर्दशी का महत्व
इस दिन प्रातःकाल स्नान करके तिल का दान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और नरक का भय समाप्त होता है। यह दिन रूप और सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध कर धरती को भयमुक्त किया था।
नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025) तिथि
- तिथि — 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
पूजा विधि
- सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करें।
- स्नान के बाद तिल दान करें और दीप जलाएं।
- घर में दीप जलाकर पवित्रता बनाए रखें।
- संध्या को भगवान श्रीकृष्ण और मां काली का पूजन करें।
नरकासुर वध कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर नामक राक्षस ने देवताओं और ऋषियों को परेशान किया और 16,100 कन्याओं का हरण किया। भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया और सभी कन्याओं को मुक्त किया। तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।
क्या करें इस दिन?
- सूर्योदय से पूर्व स्नान कर तिल और जल का दान करें।
- घर में दीप जलाएं और सफाई करें।
- जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करें।
- संध्या को दीप सजाएं और प्रार्थना करें।
विशेष मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने और दान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
उपसंहार
नरक चतुर्दशी आत्मशुद्धि, सुंदरता और पाप मुक्ति का पर्व है। यह दिन बुराई से मुक्ति और सद्भावना की ओर कदम बढ़ाने का संदेश देता है।
FAQ – नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025)
Q1: नरक चतुर्दशी 2025 (Narak Chaturdashi 2025) में कब है?
A1: नरक चतुर्दशी 2025 में 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
Q2: नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है?
A2: नरक चतुर्दशी बुराई और पाप से मुक्ति का पर्व है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,100 कन्याओं को मुक्त किया था।
Q3: क्या नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है?
A3: जी हाँ, नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है और यह दीपावली के एक दिन पहले आता है।
Q4: नरक चतुर्दशी के दिन क्या विशेष परंपरा है?
A4: इस दिन सुबह उबटन लगाकर स्नान करने और दीप जलाने की परंपरा है, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है।
Q5: नरक चतुर्दशी पर क्या शुभ माना जाता है?
A5: इस दिन स्नान के बाद पूजा करके दीप जलाना, बुरे कर्मों का त्याग करना, और मिठाई व दान देना शुभ माना जाता है।
Q6: क्या नरक चतुर्दशी पर व्रत भी रखा जाता है?
A6: हाँ, कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और संध्या काल में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
Q7: क्या नरक चतुर्दशी के दिन तेल स्नान का महत्व है?
A7: जी हाँ, इस दिन विशेष रूप से तेल उबटन और स्नान करने से रोग, दरिद्रता और पाप से मुक्ति मिलती है।
Q8: नरक चतुर्दशी का क्या आध्यात्मिक महत्व है?
A8: यह दिन जीवन से नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मकता और शुभ ऊर्जा को आमंत्रित करने का अवसर है।
Q9: क्या नरक चतुर्दशी के दिन विशेष भोजन बनता है?
A9: हाँ, इस दिन घरों में हलवा, पूड़ी, चने, और पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं।
Q10: नरक चतुर्दशी का संबंध किस देवता से है?
A10: नरक चतुर्दशी का सीधा संबंध भगवान कृष्ण और मां काली से है, जिन्होंने बुराई का नाश करके मानवता का कल्याण किया।