उत्तान एकादशी 2025: महत्व, व्रत विधि, पौराणिक कथा और लाभ

परिचय: उत्तान एकादशी, जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा के बाद जागते हैं, और सृष्टि के कार्यों में पुनः प्रवृत्त होते हैं। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। उत्तान एकादशी 2025 का व्रत विशेष रूप से इच्छाओं की पूर्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

उत्तान एकादशी का महत्व: उत्तान एकादशी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु के निद्रा से जागने का प्रतीक है। यह पर्व विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन से विवाह, यज्ञ और अन्य मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं। उत्तान एकादशी व्रत करने से सुख, सौभाग्य, दीर्घायु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और आत्मशुद्धि लाता है।

उत्तान एकादशी व्रत कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से सृष्टि की रक्षा के उपाय पूछे। तब भगवान विष्णु ने बताया कि जो भी कार्तिक शुक्ल एकादशी का व्रत करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। यह वही दिन था जब भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे। देवता, ऋषि-मुनि और समस्त प्रजा ने भगवान विष्णु का स्वागत किया और इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया। तभी से यह उत्तान एकादशी के रूप में प्रसिद्ध हुई। इस व्रत की महिमा अपरंपार है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर है।

उत्तान एकादशी 2025 पूजन विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. घर को स्वच्छ करके पूजन स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें।
  3. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. दीपक, धूप, पुष्प, फल, तुलसी दल और पंचामृत से भगवान का पूजन करें।
  5. विष्णु सहस्त्रनाम और भगवद गीता का पाठ करें।
  6. व्रत के दौरान निराहार या फलाहार रहें और रात्रि जागरण करें।
  7. द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर दान देकर व्रत का पारण करें।

उत्तान एकादशी व्रत के लाभ:

  1. समस्त पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  3. स्वास्थ्य, दीर्घायु और सौभाग्य प्राप्त होता है।
  4. विवाह योग्य जातकों के लिए यह व्रत विशेष रूप से शुभ होता है।
  5. मानसिक संतुलन और आत्मशुद्धि मिलती है।
  6. भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

FAQs:

Q1. उत्तान एकादशी 2025 की तिथि क्या है?
A1. उत्तान एकादशी 2025 की सटीक तिथि के लिए अपने स्थानीय पंचांग का अवलोकन करें।

Q2. क्या उत्तान एकादशी का व्रत सभी कर सकते हैं?
A2. हां, यह व्रत पुरुष, महिलाएं और किसी भी उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं।

Q3. व्रत के दौरान क्या सेवन किया जा सकता है?
A3. व्रत में फल, दूध और सूखे मेवे का सेवन किया जा सकता है। अन्न और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।

Q4. उत्तान एकादशी पर रात्रि जागरण क्यों आवश्यक है?
A4. रात्रि जागरण करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

Q5. व्रत का पारण कैसे और कब करें?
A5. द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मण भोजन कराकर और दान देकर स्वयं भोजन करें।

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छठ पूजा 2025 (Chhath Pooja 2025): तिथि, महत्व, व्रत विधि और सूर्य अर्घ्य की परंपरा

छठ पूजा 2025: तिथि, महत्व, व्रत विधि और सूर्य अर्घ्य की परंपरा

छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना का पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा चार दिवसीय पर्व होता है। 2025 में छठ पूजा 27 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा स्वास्थ्य, संतान सुख और समृद्धि का पर्व है। इसमें व्रती महिलाएं कठिन उपवास और नियम का पालन करते हुए डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य प्रकृति और सूर्य देवता का आभार प्रकट करना होता है।

छठ पूजा 2025 तिथि (Chhath Pooja 2025 Dates)

  • 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) — नहाय-खाय
  • 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) — खरना
  • 29 अक्टूबर 2025 (बुधवार) — संध्या अर्घ्य
  • 30 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) — उषा अर्घ्य और पारण

व्रत विधि

  1. पहले दिन नहाय-खाय के साथ व्रती शुद्ध भोजन करते हैं।
  2. दूसरे दिन खरना पर गन्ने के रस से बनी खीर और रोटी का सेवन कर उपवास शुरू करते हैं।
  3. तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  4. चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है।

सूर्य अर्घ्य की परंपरा

व्रती नदी या तालाब के किनारे पहुंचकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस समय पूरे परिवार और समाज का साथ व्रत को और पवित्र बना देता है।

क्या करें इस दिन?

  • शुद्धता और सात्त्विकता का पालन करें।
  • नदी या तालाब किनारे जाकर अर्घ्य दें।
  • कद्दू, नारियल, गन्ना, ठेकुआ, और फल चढ़ाएं।
  • गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि छठ मैया का आशीर्वाद मिलने से संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है। इस पर्व में पूरी श्रद्धा और नियम पालन करने से इच्छित फल मिलता है।

उपसंहार

छठ पूजा आत्मशुद्धि, संयम और विश्वास का पर्व है। यह दिन हमें प्रकृति और सूर्य की ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने की प्रेरणा देता है।


FAQs छठ पूजा 2025 (Chhath Pooja 2025)

1. छठ पूजा 2025 कब है?
छठ पूजा 2025 की तिथियां इस प्रकार हैं:

  • नहाय खाय — 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
  • खरना — 29 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
  • संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य) — 30 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
  • उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य) — 31 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)

2. छठ पूजा का क्या महत्व है?
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है, जिसमें उनके आशीर्वाद से स्वास्थ्य, समृद्धि, संतान सुख और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना की जाती है।

3. छठ पूजा कितने दिनों तक मनाई जाती है?
छठ पूजा चार दिवसीय पर्व है, जिसमें नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल होते हैं।

4. छठ पूजा कौन करता है?
छठ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं करती हैं, लेकिन कई पुरुष भी इस कठिन तप को निभाते हैं। इसे परिवार की भलाई के लिए किया जाता है।

5. छठ पूजा में क्या नियम होते हैं?

  • व्रती को पूर्ण शुद्धता और पवित्रता रखनी होती है।
  • 36 घंटे का निर्जल उपवास होता है।
  • मिट्टी के बर्तन, बाँस की डलिया, और पारंपरिक वस्तुओं का ही उपयोग होता है।
  • व्रत के दौरान शुद्धता, सात्विकता और संयम का पालन अनिवार्य है।

6. छठ पूजा का क्या धार्मिक महत्व है?
यह पर्व सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है, और माना जाता है कि इनकी उपासना से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

7. छठ पूजा में क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है?
ठेकुआ, कसार, गन्ना, नारियल, फल, गाजर, शकरकंदी, और दूध-गुड़ के पकवान चढ़ाए जाते हैं।

8. छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडवों की पत्नी द्रौपदी और सूर्य पुत्र कर्ण ने भी छठ पूजा की थी।

9. क्या छठ पूजा में व्रत अनिवार्य है?
हां, जो लोग छठ पूजा का संकल्प लेते हैं, उनके लिए व्रत और नियमों का पालन अनिवार्य होता है।

10. छठ पूजा कहां प्रमुख रूप से मनाई जाती है?
यह पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब पूरे देश और विदेशों में भी इसकी धूम है।

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शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025): तिथि, महत्व, पूजा विधि और माँ दुर्गा के नौ रूपों की कथा

शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि, महत्व, पूजा विधि और माँ दुर्गा के नौ रूपों की कथा

शारदीय नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का सबसे बड़ा पर्व है। हर साल यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक मनाया जाता है। 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना, व्रत और हवन किया जाता है।

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि शक्ति की उपासना का पर्व है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में बुराई का अंत और अच्छाई का उत्सव होना ही धर्म का मार्ग है। नवरात्रि में माँ दुर्गा से शक्ति, ज्ञान, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति के लिए व्रत और पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 तिथि (Navratri 2025 Dates)

  • प्रारंभ — 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
  • समापन — 30 सितंबर 2025 (मंगलवार)

कलश स्थापना और पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
  2. मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और कलश स्थापित करें।
  3. माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजन आरंभ करें।
  4. नौ दिनों तक माँ के नौ स्वरूपों की पूजा करें।
  5. दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन करें।
  6. नवमी पर कन्या पूजन कर व्रत का समापन करें।

माँ दुर्गा के नौ रूप

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

नवरात्रि कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राक्षस महिषासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। देवताओं की प्रार्थना पर त्रिदेवों की शक्तियों से माँ दुर्गा का प्राकट्य हुआ। नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर माँ दुर्गा ने उसे पराजित किया। तभी से यह पर्व शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है।

इस समय क्या करें?

  • प्रतिदिन माँ दुर्गा के भजन और पाठ करें।
  • व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
  • घर में अखंड ज्योत जलाएं।
  • जरूरतमंदों को दान करें।

विशेष मान्यता

कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत, उपासना और सेवा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। माँ दुर्गा हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

उपसंहार

शारदीय नवरात्रि शक्ति, भक्ति और विश्वास का पर्व है। माँ दुर्गा के चरणों में आस्था रखने से जीवन में कभी भय नहीं आता। यह पर्व हमें जीवन में सकारात्मकता और सफलता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025) FAQs

1. शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025) कब से शुरू होगी?
शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 29 सितंबर 2025 (सोमवार) से होगी और समापन 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को होगा।

2. शारदीय नवरात्रि का क्या महत्व है?
यह नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का पर्व है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत और शक्ति, भक्ति और आत्मशुद्धि के लिए बेहद शुभ माना जाता है।

3. शारदीय नवरात्रि में कौन-कौन से देवी के रूप पूजे जाते हैं?
नवदुर्गा के रूप:

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रह्मचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

4. शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना कब करनी चाहिए?
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। 2025 में यह 29 सितंबर को प्रातः शुभ मुहूर्त में की जाएगी।

5. नवरात्रि में कौन-कौन से नियम का पालन करना चाहिए?

  • सात्विक भोजन करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • माता की आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

6. क्या नवरात्रि में व्रत रखना आवश्यक है?
व्रत रखना व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर करता है। बहुत से लोग पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग पहले और आखिरी दिन उपवास करते हैं।

7. नवरात्रि में कौन से भोग देवी को अर्पित किए जाते हैं?
हर दिन अलग-अलग देवी को उनकी पसंदीदा वस्तु जैसे नारियल, फल, दूध, मिश्री, गुड़, हलवा, चने, केसर आदि अर्पित किए जाते हैं।

8. कन्या पूजन कब किया जाता है?
नवमी या अष्टमी तिथि को नौ कन्याओं को भोजन कराकर उनका पूजन किया जाता है।

9. नवरात्रि के दौरान कौन से मंत्र पढ़े जाते हैं?

  • “या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”
  • दुर्गा सप्तशती के श्लोक और कवच का पाठ भी किया जाता है।

10. नवरात्रि का समापन कैसे किया जाता है?
नवरात्रि का समापन हवन, कन्या पूजन और देवी के विसर्जन के साथ किया जाता है। इसके बाद परिवारजन प्रसाद ग्रहण करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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गोपाष्टमी 2025 (Gopaasthami 2025): तिथि, महत्व, व्रत विधि और पूजा की परंपरा

गोपाष्टमी 2025: तिथि, महत्व, व्रत विधि और पूजा की परंपरा

गोपाष्टमी हिंदू धर्म में गो माता और श्रीकृष्ण को समर्पित पर्व है। इस दिन गौ माता की विशेष पूजा की जाती है और गौ सेवा का महत्व बताया जाता है। 2025 में गोपाष्टमी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

गोपाष्टमी का महत्व

गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के गौचारण जीवन की शुरुआत से जुड़ा है। इसी दिन से उन्होंने गाय चराने का कार्य आरंभ किया था। गाय को माता का दर्जा दिया गया है और उसे सेवा और पूजा से सुख, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।

गोपाष्टमी 2025 (Gopaasthami 2025) तिथि

  • तिथि — 30 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)

व्रत और पूजन विधि

  1. प्रात: स्नान कर गाय को स्नान कराएं।
  2. गाय को फूल, हल्दी, कुमकुम और चंदन लगाकर सजाएं।
  3. गाय को हरी घास, गुड़, रोटी और चारा खिलाएं।
  4. गौ माता की परिक्रमा करें और आशीर्वाद लें।
  5. घर में गोपालकृष्ण का पूजन करें।

क्या करें इस दिन?

  • गौ माता की सेवा करें और उन्हें भोजन कराएं।
  • जरूरतमंदों को दान दें।
  • बच्चों को गाय का महत्व सिखाएं।
  • गौशाला जाकर सेवा करें।

विशेष कथा

श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में गोपाष्टमी के दिन से ही गौ सेवा और गौचारण का दायित्व संभाला था। तब से यह पर्व गो सेवा के रूप में मनाया जाता है।

विशेष मान्यता

मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने से समस्त पापों का नाश होता है और घर में सुख-शांति आती है। यह पर्व जीवन में धन, समृद्धि और संतान सुख देता है।

उपसंहार

गोपाष्टमी हमें प्रकृति और जीवों के प्रति सम्मान और करुणा की सीख देती है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि गो सेवा और गौ माता का सम्मान हर मनुष्य का कर्तव्य है।


FAQ गोपाष्टमी 2025 (Gopaasthami 2025)

प्रश्न 1: गोपाष्टमी 2025 (Gopaasthami 2025) में कब है?
उत्तर: गोपाष्टमी 2025 में 30 नवंबर को मनाई जाएगी।

प्रश्न 2: गोपाष्टमी का क्या महत्व है?
उत्तर: गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है और उनकी सेवा से पुण्य लाभ मिलता है।

प्रश्न 3: गोपाष्टमी पर कौन-कौन सी पूजा की जाती है?
उत्तर: इस दिन विशेष रूप से गो माता की पूजा की जाती है। गायों को स्नान कराकर सजाया जाता है, उन पर हल्दी और सिंदूर लगाया जाता है, और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जाता है।

प्रश्न 4: गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: मान्यता है कि इस दिन से श्रीकृष्ण ने गोकुल में गोधन की सेवा शुरू की थी। गाय को मां का दर्जा दिया जाता है और इसे सेवा और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 5: गोपाष्टमी पर क्या दान करना शुभ होता है?
उत्तर: इस दिन गायों के लिए चारा, गुड़, भोजन और वस्त्र का दान बहुत शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराना और वस्त्र दान करना भी पुण्यकारी होता है।

प्रश्न 6: गोपाष्टमी पर कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?
उत्तर: गोपाष्टमी पर ‘गोमाता की जय’ के साथ-साथ ‘ॐ गोवत्साय विद्महे गोपालाय धीमहि तन्नो गोः प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप किया जाता है।

प्रश्न 7: गोपाष्टमी का व्रत कैसे रखा जाता है?
उत्तर: प्रात:काल स्नान के बाद गो माता की पूजा की जाती है। उपवास रखा जाता है और शाम को गौशाला में जाकर गायों को गुड़, हरा चारा और रोटी खिलाई जाती है।

प्रश्न 8: क्या गोपाष्टमी पर विशेष पूजा स्थान पर जाना चाहिए?
उत्तर: जी हां, इस दिन गायशाला या मंदिर में जाकर गाय की सेवा करने और पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

प्रश्न 9: गोपाष्टमी बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: गोपाष्टमी पर बच्चे विशेष रूप से बाल कृष्ण के रूप में सजे जाते हैं और उनका उत्सव में भाग लेना परंपरा का हिस्सा है, जिससे उनमें धर्म और सेवा का भाव जागृत होता है।

प्रश्न 10: गोपाष्टमी का सांस्कृतिक संदेश क्या है?
उत्तर: यह पर्व हमें गो माता के संरक्षण, सेवा और प्रकृति से जुड़ाव का संदेश देता है। यह मनुष्य और पशु के बीच के पवित्र संबंध को दर्शाता है।

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देव उठनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि

देव उठनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि

देव उठनी एकादशी (Dev Uthni Ekadashi 2025), जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन पुनः करते हैं। यही दिन तुलसी विवाह और शुभ विवाह के मुहूर्त की शुरुआत मानी जाती है। 2025 में देव उठनी एकादशी 2 नवंबर को मनाई जाएगी।

देव उठनी एकादशी का महत्व

देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागकर संसार के कल्याण का कार्य पुनः आरंभ करते हैं। इस दिन व्रत, दान और पूजन से समस्त पापों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

देव उठनी एकादशी 2025 तिथि

  • तिथि — 2 नवंबर 2025 (रविवार)

व्रत और पूजन विधि

  1. प्रात: स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
  2. धूप, दीप, पुष्प, चंदन से पूजन करें।
  3. विष्णु सहस्त्रनाम या भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें।
  4. व्रत करें और फलाहार ग्रहण करें।
  5. रात्रि में भगवान विष्णु के जागरण का आयोजन करें।
  6. अगले दिन ब्राह्मणों को दान दें और व्रत का पारण करें।

व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, देवशयन एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं और देव उठनी एकादशी के दिन जागते हैं। उनके जागने पर सृष्टि का संचालन पुनः शुरू होता है। इस दिन विवाह, मांगलिक कार्य और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

क्या करें इस दिन?

  • व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • व्रत कथा का पाठ करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
  • तुलसी जी के पौधे की पूजा करें।

विशेष मान्यता

देव उठनी एकादशी के दिन उपवास और पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, और यह वर्ष का सबसे पुण्यकारी दिन माना जाता है।

उपसंहार

देव उठनी एकादशी का पर्व जीवन में नई शुरुआत, जागृति और शुभता का प्रतीक है। इस दिन का पालन कर हम जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) — देव उठनी एकादशी 2025

Q1. देव उठनी एकादशी 2025 कब है?

उत्तर: देव उठनी एकादशी 2025 में 2 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।

Q2. देव उठनी एकादशी का महत्व क्या है?

उत्तर: इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा के बाद जागते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह दिन मांगलिक कार्यों की शुरुआत का संकेत भी देता है।

Q3. क्या देव उठनी एकादशी पर व्रत रखा जाता है?

उत्तर: हां, भक्तजन इस दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।

Q4. देव उठनी एकादशी की पूजा कैसे करें?

उत्तर: प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु और तुलसी माता का पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और जल अर्पित करें। रात्रि में जागरण करें और अगले दिन व्रत का पारण करें।

Q5. क्या देव उठनी एकादशी के बाद विवाह मुहूर्त शुरू हो जाता है?

उत्तर: हां, इसी दिन से विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं। इसे शुभ कार्यों की शुरुआत का पर्व माना जाता है।

Q6. इस दिन क्या दान करना चाहिए?

उत्तर: इस दिन अन्न, वस्त्र, फल, धन और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष पुण्य माना जाता है।

Q7. क्या देव उठनी एकादशी का संबंध तुलसी विवाह से है?

उत्तर: हां, तुलसी विवाह की परंपरा भी इसी दिन से शुरू होती है और कई लोग इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन करते हैं।

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