
देव उठनी एकादशी 2025: तिथि, महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि
देव उठनी एकादशी (Dev Uthni Ekadashi 2025), जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीनों की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन पुनः करते हैं। यही दिन तुलसी विवाह और शुभ विवाह के मुहूर्त की शुरुआत मानी जाती है। 2025 में देव उठनी एकादशी 2 नवंबर को मनाई जाएगी।
देव उठनी एकादशी का महत्व
देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागकर संसार के कल्याण का कार्य पुनः आरंभ करते हैं। इस दिन व्रत, दान और पूजन से समस्त पापों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
देव उठनी एकादशी 2025 तिथि
- तिथि — 2 नवंबर 2025 (रविवार)
व्रत और पूजन विधि
- प्रात: स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
- धूप, दीप, पुष्प, चंदन से पूजन करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम या भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें।
- व्रत करें और फलाहार ग्रहण करें।
- रात्रि में भगवान विष्णु के जागरण का आयोजन करें।
- अगले दिन ब्राह्मणों को दान दें और व्रत का पारण करें।
व्रत कथा
पुराणों के अनुसार, देवशयन एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं और देव उठनी एकादशी के दिन जागते हैं। उनके जागने पर सृष्टि का संचालन पुनः शुरू होता है। इस दिन विवाह, मांगलिक कार्य और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
क्या करें इस दिन?
- व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- व्रत कथा का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
- तुलसी जी के पौधे की पूजा करें।
विशेष मान्यता
देव उठनी एकादशी के दिन उपवास और पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, और यह वर्ष का सबसे पुण्यकारी दिन माना जाता है।
उपसंहार
देव उठनी एकादशी का पर्व जीवन में नई शुरुआत, जागृति और शुभता का प्रतीक है। इस दिन का पालन कर हम जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) — देव उठनी एकादशी 2025
Q1. देव उठनी एकादशी 2025 कब है?
उत्तर: देव उठनी एकादशी 2025 में 2 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।
Q2. देव उठनी एकादशी का महत्व क्या है?
उत्तर: इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा के बाद जागते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह दिन मांगलिक कार्यों की शुरुआत का संकेत भी देता है।
Q3. क्या देव उठनी एकादशी पर व्रत रखा जाता है?
उत्तर: हां, भक्तजन इस दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
Q4. देव उठनी एकादशी की पूजा कैसे करें?
उत्तर: प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु और तुलसी माता का पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प और जल अर्पित करें। रात्रि में जागरण करें और अगले दिन व्रत का पारण करें।
Q5. क्या देव उठनी एकादशी के बाद विवाह मुहूर्त शुरू हो जाता है?
उत्तर: हां, इसी दिन से विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं। इसे शुभ कार्यों की शुरुआत का पर्व माना जाता है।
Q6. इस दिन क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: इस दिन अन्न, वस्त्र, फल, धन और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष पुण्य माना जाता है।
Q7. क्या देव उठनी एकादशी का संबंध तुलसी विवाह से है?
उत्तर: हां, तुलसी विवाह की परंपरा भी इसी दिन से शुरू होती है और कई लोग इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन करते हैं।