विजया एकादशी 2025: महत्व, व्रत कथा, पूजन विधि और चमत्कारी लाभ
विजया एकादशी 2025: महत्व, कथा, पूजन विधि और लाभ
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। यह एकादशी व्रत विशेष रूप से विजय प्राप्त करने, सफलता पाने, और जीवन के समस्त संकटों को दूर करने के लिए की जाती है। जो व्यक्ति इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसे हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
विजया एकादशी का महत्व (Importance of Vijaya Ekadashi 2025)
विजया एकादशी का महत्व सभी धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन के सभी संघर्षों में सफलता मिलती है। शत्रुओं पर विजय और कानूनी मामलों में जीत पाने के लिए यह व्रत अचूक माना जाता है।
विजया एकादशी तिथि 2025 (संभावित) (Vijaya Ekadashi 2025 Dates)
विजया एकादशी 2025 में 20 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
विजया एकादशी व्रत विधि
1. व्रत का संकल्प लेकर एक दिन पूर्व केवल फलाहार करें।
2. सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. धूप, दीप, पुष्प, फल, तिल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
4. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
5. उपवास रखें और रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
6. द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन करवाकर दान करके पारण करें।
विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi 2025 vrat katha)
रामायण के अनुसार जब भगवान श्रीराम समुद्र पार कर लंका पर चढ़ाई करने वाले थे, तब उन्होंने गुरु वशिष्ठ जी से परामर्श लिया। गुरु वशिष्ठ ने उन्हें विजया एकादशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। व्रत के प्रभाव से भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। इसीलिए इस एकादशी का नाम विजया एकादशी पड़ा और यह विजय प्राप्ति का प्रतीक मानी जाती है।
विजया एकादशी के लाभ
जीवन के सभी संघर्षों में विजय प्राप्त होती है।
शत्रु बाधा का नाश होता है।
कार्यों में सफलता मिलती है।
पापों का नाश होता है।
सुख, समृद्धि और शांति मिलती है।
निष्कर्ष
विजया एकादशी का व्रत विजय, सफलता और पापों से मुक्ति का अद्भुत मार्ग है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति से करने पर सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
FAQs
Q1. विजया एकादशी कब मनाई जाती है?
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को।
Q2. विजया एकादशी 2025 ((Vijaya Ekadashi 2025)) में कब है?
20 फरवरी 2025 को।
Q3. क्या विजया एकादशी व्रत से शत्रु बाधा दूर होती है?
हां, इस व्रत से शत्रु बाधा समाप्त होती है और विजय मिलती है।
Q4. क्या यह व्रत सभी कार्यों में सफलता दिलाता है?
जी हां, यह व्रत हर कार्य में सफलता का द्वार खोलता है।
Q5. रात्रि जागरण आवश्यक है?
हां, रात्रि जागरण से पुण्य में वृद्धि होती है।
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षटतिला एकादशी 2025: महत्व, व्रत कथा, पूजन विधि और लाभ
षटतिला एकादशी 2025: महत्व, कथा, पूजन विधि और चमत्कारी लाभ
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन तिल का विशेष महत्व होता है और व्रती तिल के स्नान, तिल से पूजा और तिल का दान करके भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और तिल दान करने से जीवन के समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
षटतिला एकादशी का महत्व
षटतिला एकादशी पर तिल का छह प्रकार से प्रयोग करने का महत्व है — स्नान, उबटन, हवन, जल में तिल डालना, भोजन में तिल, और तिल का दान करना। इस दिन का व्रत सभी पापों का नाश कर देता है और पुण्य में वृद्धि होती है।
षटतिला एकादशी तिथि 2025 (संभावित)
षटतिला एकादशी 2025 में 24 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
षटतिला एकादशी व्रत विधि
1. एक दिन पूर्व सात्विक भोजन कर व्रत का संकल्प लें।
2. प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. तिल मिश्रित जल से स्नान करें।
4. तिल से हवन करें और तिल का दान करें।
5. ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
6. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करें।
7. अगले दिन ब्राह्मण भोजन कराकर दान देकर व्रत का पारण करें।
षटतिला एकादशी व्रत कथा
कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक ब्राह्मणी ने कई वर्षों तक तप किया लेकिन कभी भी दान नहीं किया। जब वह स्वर्ग पहुंची तो वहां उसे केवल मिट्टी का भोजन मिला। दुखी होकर उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान ने उसे षटतिला एकादशी का व्रत करने का उपदेश दिया। व्रत के प्रभाव से उसके सारे कष्ट दूर हो गए और उसे अमृत तुल्य भोजन मिलने लगा। तभी से इस व्रत का विशेष महत्व है।
षटतिला एकादशी के लाभ
- पापों का नाश होता है।
- पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- दरिद्रता का नाश होता है।
- जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- तिल का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
निष्कर्ष
षटतिला एकादशी का व्रत जीवन को पवित्र और समृद्ध बनाता है। यह व्रत आत्मिक शुद्धि के साथ-साथ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन तिल का दान और भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए।
FAQs
Q1. षटतिला एकादशी कब मनाई जाती है?
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को।
Q2. षटतिला एकादशी 2025 में कब है?
24 जनवरी 2025 को।
Q3. षटतिला एकादशी पर क्या दान करना चाहिए?
तिल का दान विशेष पुण्यकारी माना जाता है।
Q4. क्या तिल से स्नान करना आवश्यक है?
हां, यह विधि व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Q5. व्रत के क्या लाभ हैं?
पापों का नाश, पुण्य वृद्धि, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति।
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जया एकादशी 2025: महत्व, व्रत कथा, पूजन विधि और चमत्कारी लाभ
जया एकादशी 2025: महत्व, कथा, पूजन विधि और लाभ
माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और सभी पापों के नाश, स्वर्ग प्राप्ति तथा मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जया एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी बंधन समाप्त होते हैं और व्यक्ति परम सुख प्राप्त करता है।
जया एकादशी का महत्व
जया एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को भूत, प्रेत और पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है। यह व्रत हर प्रकार की बाधाओं और पापों का नाश कर देता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सौभाग्य आता है।
जया एकादशी तिथि 2025 (संभावित)
जया एकादशी 2025 में 7 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
जया एकादशी व्रत विधि
1. व्रत का संकल्प लेकर एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें।
2. प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. धूप, दीप, पुष्प, तिल, फल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
4. विष्णु सहस्त्रनाम और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
5. दिन भर उपवास रखें और रात्रि को जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
6. अगले दिन ब्राह्मण भोजन कराकर दान देकर व्रत का पारण करें।
जया एकादशी व्रत कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, स्वर्गलोक में एक गंधर्व माल्यवान और उसकी पत्नी पुष्पवती रहते थे। एक बार गलती से इंद्रसभा में उनका ध्यान भटक गया, जिससे इंद्र ने उन्हें पिशाच योनि में भेज दिया। कई वर्षों तक उन्होंने कष्ट भोगा। माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को उन्होंने अज्ञात रूप में उपवास और प्रभु स्मरण किया। इस पुण्य से उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिली और वे पुनः स्वर्ग में पहुंचे। तभी से इस व्रत का नाम जया एकादशी पड़ा।
जया एकादशी के लाभ
- भूत, प्रेत और पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है।
- पापों का नाश होता है।
- स्वर्ग प्राप्ति और मोक्ष का मार्ग खुलता है।
- जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
जया एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति, सुख, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।
FAQs
Q1. जया एकादशी कब मनाई जाती है?
A. माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को।
Q2. जया एकादशी 2025 में कब है?
A. 7 फरवरी 2025 को।
Q3. क्या यह व्रत सभी बाधाओं को समाप्त करता है?
A. हां, सभी प्रकार के बंधन और बाधाओं का नाश करता है।
Q4. व्रत से क्या लाभ मिलता है?
A. पापों का नाश, स्वर्ग प्राप्ति, सुख, समृद्धि और मोक्ष।
Q5. क्या रात्रि जागरण आवश्यक है?
A. हां, रात्रि जागरण से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।








