षटतिला एकादशी 2025: महत्व, कथा, पूजन विधि और चमत्कारी लाभ


माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन तिल का विशेष महत्व होता है और व्रती तिल के स्नान, तिल से पूजा और तिल का दान करके भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और तिल दान करने से जीवन के समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

षटतिला एकादशी का महत्व

षटतिला एकादशी पर तिल का छह प्रकार से प्रयोग करने का महत्व है — स्नान, उबटन, हवन, जल में तिल डालना, भोजन में तिल, और तिल का दान करना। इस दिन का व्रत सभी पापों का नाश कर देता है और पुण्य में वृद्धि होती है।

षटतिला एकादशी तिथि 2025 (संभावित)

षटतिला एकादशी 2025 में 24 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।


षटतिला एकादशी व्रत विधि

1. एक दिन पूर्व सात्विक भोजन कर व्रत का संकल्प लें।
2. प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. तिल मिश्रित जल से स्नान करें।
4. तिल से हवन करें और तिल का दान करें।
5. ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
6. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करें।
7. अगले दिन ब्राह्मण भोजन कराकर दान देकर व्रत का पारण करें।

षटतिला एकादशी व्रत कथा

कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक ब्राह्मणी ने कई वर्षों तक तप किया लेकिन कभी भी दान नहीं किया। जब वह स्वर्ग पहुंची तो वहां उसे केवल मिट्टी का भोजन मिला। दुखी होकर उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान ने उसे षटतिला एकादशी का व्रत करने का उपदेश दिया। व्रत के प्रभाव से उसके सारे कष्ट दूर हो गए और उसे अमृत तुल्य भोजन मिलने लगा। तभी से इस व्रत का विशेष महत्व है।

षटतिला एकादशी के लाभ

  • पापों का नाश होता है।
  • पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • दरिद्रता का नाश होता है।
  • जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • तिल का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।

निष्कर्ष

षटतिला एकादशी का व्रत जीवन को पवित्र और समृद्ध बनाता है। यह व्रत आत्मिक शुद्धि के साथ-साथ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन तिल का दान और भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए।

FAQs

Q1. षटतिला एकादशी कब मनाई जाती है?
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को।

Q2. षटतिला एकादशी 2025 में कब है?
24 जनवरी 2025 को।

Q3. षटतिला एकादशी पर क्या दान करना चाहिए?
तिल का दान विशेष पुण्यकारी माना जाता है।

Q4. क्या तिल से स्नान करना आवश्यक है?
हां, यह विधि व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

Q5. व्रत के क्या लाभ हैं?
पापों का नाश, पुण्य वृद्धि, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति।

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