श्री रामघाट उज्जैन के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध घाटों में से एक है। यह पुण्य सलिला मां शिप्रा के तट पर स्थित है। यह घाट कुंभ मेले के चार प्रमुख स्थानों में से एक है। कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु यहीं डुबकी लगाते है। उज्जैन में मनाए जाने वाले सभी स्नान पर्वों पर यहा डुबकी लगाने का विशेष महत्व है।

राम घाट

श्री राम घाट उज्जैन के क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित वो घाट है जहां पर भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ के मृत्यु के पश्चात उनकी आत्मा को शांति के लिए उनके निमित्त पिंड दान, श्राद्ध और तर्पण उज्जैन के इसी घाट पर किया था तब से इस घाट का नाम राम घाट पड़ गया ।

मां क्षिप्रा को मध्य प्रदेश की गंगा के नाम से भी जाना जाता है वेदों में क्षिप्रा का अत्याधिक महत्व बताया गया। मां क्षिप्रा के पावन जल में स्नान कर भक्त लोग अपने जीवन को धन्य बनाते हैं और पापो से मुक्त हो जाते हैं।

राम घाट पर आकर श्रद्धालु अपनों की मृत्यु उपरांत अस्थि विसर्जन के लिए और पिंड दान के लिए भी आते हैं।

यहीं पर प्राचीन यमराज, चित्रकूट मंदिर बना हुआ है। अगर आपको पितृ देवताओं का तर्पण और मृत प्राणी की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करना हो तो आपको उज्जैन के रामघाट मंदिर पर आकर उनके लिए रामघाट पर पिंड दिन जरूर करना चाहिए।

राम घाट
राम घाट

यहा़ पर विप्र, पंडित चावल के आटे का पिंड दान पितरों के निमित्त किया जाता है जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

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