
चौबीस खंभा माता मंदिर गोपाल मंदिर से श्री महाकालेश्वर मंदिर जाने के मार्ग पर गुदरी चौराहे के निकट स्थित है। यह एक बड़े दरवाजे नुमा आकृति है जो किसी नगर के प्रवेश द्वार सा प्रतीत होता है इस दरवाजे के दोनों तरफ महामाया और महानाया माता का मंदिर है।
यह दरवाजा दसवीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी बनावट से परमार कालीन होना पाया गया है। विशाल दरवाजे के पीछे चौबीस खंभे बने हुए जो इस आकृति को मजबूत बनाते हैं इन्हीं चौबीस खंबे और दरवाजे के दोनों तरफ बने माता मंदिर की वजह से चौबीस खंबा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। निम्नलिखित श्लोक से भी यह साक्ष्य मिलता है कि यह नगर द्वारा होगा
सहस्र पद विस्तीर्ण महाकाल वनं शुभम।
द्वार माहघर्रत्नार्द्य खचितं सौभ्यदिग्भवम्।।
इस श्लोक से विदित होता है कि एक हजार पैर विस्तार वाला महाकाल-वन है जिसका द्वार बेशकीमती रत्नों से जड़ित रत्नों से जड़ित उत्तर दिशा को है। इसके अनुसार उत्तर दिशा की ओर यही प्रवेश-द्वार है।
चौबीस खंभा माता मंदिर

प्राचीन समय में इन मंदिरों में पशु बलि की जाती थी इसके साक्ष्य मिले परंतु इन कुरीतियों को बाद में बंद कर दिया गया। नवरात्र की अष्टमी को जो नगर पूजा की जाती है उसकी शुरुआत उज्जैन के कलेक्टर चौबीस खंभा माता मंदिर से करते हैं। उस दिन यहां मदिरा और गेहूं चने से बनी गई घुघरी का भोग चढ़ाया जाता है क्योंकि इसे तामसी भोजन माना गया है।
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