
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व – सनातन धर्म में कार्तिक माह का बहुत महत्व है। कार्तिक माह में किए गए दान और स्नान को मोक्ष कारक माना जाता है। कार्तिक माह भगवान श्री हरि विष्णु को बहुत प्रिय है और इस माह में दीपावली जैसे पांच दिवसीय त्योहार के होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। इस पूरे माह में सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना और पूरे माह दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
वैसे तो कार्तिक माह में कई व्रत और त्योहार आते हैं और सबका अपना अलग-अलग महत्व है परंतु कार्तिक पूर्णिमा जो इस माह में पढ़ने वाला अंतिम दिन होता है उसका भी अपना अलग ही महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा में तीर्थ करना और नदियों में डुबकी लगाने का भी विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहते हैं इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक साहब का जन्म भी हुआ था उसका भी अपना अलग महत्व है।
मान्यता है की इससे दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सारे पापों का नाश हो जाता है और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरे देश में सारी जल सरोवर एवं नदियों में लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। कार्तिक माह में किए गए जप, तप, दान और स्नान का विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। विष्णु पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। पूरे कार्तिक माह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने और भगवान श्री विष्णु की पूजा करने का विधान है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का भी अपना अलग ही महत्व है, इस दिन स्नान कर कर दान किया जाता है। इस दिन दीपदान करना शुभ माना गया है और इससे परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान दान के साथ गोदान करने से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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