भगवान श्री कृष्ण ने अपनी शिक्षा उज्जैन में श्री संदीपनि आश्रम में ग्रहण की थी उनके साथ उनके बड़े भाई बलराम जी और उनके परम मित्र सुदामा जी ने भी गुरु सांदीपनि से ही शिक्षा ग्रहण की थी। संदीपनी महाकालेश्वर के एक अनन्य भक्त थे। उनकी महाकाल भक्ति और नित्य दर्शन के चलते ही उन्होंने अपना आश्रम काशी से उज्जैन स्थानांतरित किया था।

कंस वध के पश्चात वसुदेव जी ने भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा के लिए उज्जैन का चयन किया था। भगवान श्री कृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में 64 दिनों में ही वेद शास्त्र कला विद्या युद्ध नीति और गीता का ज्ञान हासिल किया था। उन्होंने 18 दिनों में 18 पुराण 4 दिनों में चार वेद 6 दिनों में 6 शास्त्र 16 दिनों में 16 कलाएं 20 दिनों में गीता का ज्ञान प्राप्त किया था

सांदीपनि आश्रम के पास एक पत्थर पर 1 से 100 तक गिनती लिखिए माना जाता है यह गिनती पूर्व संदीपनी द्वारा लिखी गई थी। सांदीपनि आश्रम में गोमती कुंड भी स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि सांदीपनि स्नान करने के लिए अपनी योग विद्या से रोज गोमती नदी के तट पर जाते थे, इसमें काफी समय व्यतीत होता था। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने गोमती नदी का हवन करके उन्हें उसे कुंड में अवतरित किया है।

आश्रम में 6000 साल पुराना शिव मंदिर भी है जिससे गुरु सांदीपनि ने अपने तपोवल से एक बिलपत्र से उत्पन्न किया था। पूरे विश्व में शिवलिंग के सामने नंदी जी बैठे हुए हैं परंतु इस प्राचीन मंदिर के बाहर नंदी जी खड़े हुए हैं। यह मंदिर खड़े नंदी जी के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है।

श्री संदीपनि आश्रम

श्री संदीपनि आश्रम
श्री संदीपनि आश्रम पर भगवान कृष्ण, सुदामा,और बलराम तीनों के दर्शन एक साथ होते है।

यहां पर भगवान कृष्ण, सुदामा,और बलराम तीनों के दर्शन एक साथ होते है।

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