ज्योतिर्मठ का इतिहास, महत्व और सनातन धर्म में योगदान

भारत की चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना आदि शंकराचार्य जी ने की थी। उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करने वाला मठ है ज्योतिर्मठ, जिसे ‘ज्योतिष पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मठ उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ क्षेत्र में स्थित है। यह मठ वैदिक ज्ञान, आध्यात्मिक साधना और धर्म प्रचार का प्रमुख केंद्र है, और आज भी उत्तर भारत में सनातन धर्म के संरक्षण एवं प्रसार का काम कर रहा है।

ज्योतिर्मठ का इतिहास

ज्योतिर्मठ की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी। बद्रीनाथ धाम के पास स्थित यह मठ उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। बद्रीनाथ को भगवान विष्णु का धाम माना जाता है, और इस पावन भूमि में ज्योतिर्मठ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य वेदों और अद्वैत वेदांत के प्रकाश को संपूर्ण उत्तर भारत में फैलाना था।

मठ का नाम ‘ज्योतिर्मठ’ इसलिए रखा गया क्योंकि यह ज्ञान और दिव्यता का प्रतीक है — ‘ज्योति’ का अर्थ ही है प्रकाश।

ज्योतिर्मठ का महत्व

  1. अद्वैत वेदांत का प्रसार:
    यहां अद्वैत वेदांत का विस्तार और गहन अध्ययन कराया जाता है।
  2. अथर्ववेद का प्रतिनिधित्व:
    ज्योतिर्मठ का संबंध अथर्ववेद से है, और यह मठ अथर्ववेद की शिक्षा और व्याख्या के लिए प्रसिद्ध है।
  3. महावाक्य:
    इस मठ का महावाक्य है — “अयमात्मा ब्रह्म” (यह आत्मा ही ब्रह्म है)।
  4. उत्तर भारत का धर्म केंद्र:
    संपूर्ण उत्तर भारत में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार और धार्मिक परंपराओं का पालन इसी मठ के संरक्षण में होता है।
  5. गुरु-शिष्य परंपरा का पालन:
    मठ में आज भी गुरु-शिष्य परंपरा जीवित है और धार्मिक शिक्षा उसी पद्धति से दी जाती है।

ज्योतिर्मठ की विशेषताएँ

  • बद्रीनाथ धाम के निकट होने के कारण यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं।
  • यहां वेदपाठ, यज्ञ, शास्त्रार्थ और संस्कृत शिक्षण की व्यवस्था है।
  • मठ से जुड़े कई संस्कृत विद्यालय और वेद शिक्षण संस्थान उत्तर भारत में कार्यरत हैं।
  • मठ में नियमित रूप से पर्व-त्योहार और धार्मिक आयोजन बड़ी श्रद्धा और भव्यता से मनाए जाते हैं।

वर्तमान में ज्योतिर्मठ

आज ज्योतिर्मठ उत्तर भारत में वेद और सनातन धर्म के प्रचार का एक मजबूत स्तंभ है। यहां हर वर्ष कई धार्मिक कार्यक्रम, वेद सम्मलेन और समाज सेवा कार्य आयोजित होते हैं। मठ द्वारा जरूरतमंद छात्रों को वेद शिक्षा के लिए छात्रवृत्तियाँ भी दी जाती हैं।


FAQs

1. ज्योतिर्मठ की स्थापना किसने की थी?
ज्योतिर्मठ की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी।

2. ज्योतिर्मठ कहाँ स्थित है?
यह मठ उत्तराखंड के बद्रीनाथ क्षेत्र में स्थित है।

3. ज्योतिर्मठ किस वेद से संबंधित है?
यह मठ अथर्ववेद से संबंधित है।

4. ज्योतिर्मठ का महावाक्य क्या है?
इस मठ का महावाक्य है — “अयमात्मा ब्रह्म”

5. ज्योतिर्मठ का उद्देश्य क्या है?
वेदों, उपनिषदों और अद्वैत वेदांत के ज्ञान का प्रसार और सनातन धर्म का संरक्षण करना।


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