द्वारका शारदा पीठ का इतिहास, महत्व और सनातन धर्म में योगदान

भारत की प्राचीन वैदिक परंपरा और सनातन धर्म को संरक्षित रखने के लिए आदि शंकराचार्य ने भारत के चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी। पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करने वाला मठ है — शारदा पीठ, जो गुजरात के पावन तीर्थ द्वारका में स्थित है। शारदा पीठ को ‘द्वारका पीठ’ भी कहा जाता है। यह मठ वेद, उपनिषद और अद्वैत वेदांत के अध्ययन, प्रचार और शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।

शारदा पीठ का इतिहास

शारदा पीठ की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। द्वारका नगरी भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मानी जाती है और इस भूमि का विशेष धार्मिक महत्व है। आदि शंकराचार्य जी ने जब पश्चिम दिशा में धर्म और वेदांत के प्रचार का संकल्प लिया, तब उन्होंने द्वारका में इस मठ की नींव रखी।

शारदा पीठ का नाम मां शारदा (सरस्वती) के नाम पर रखा गया है, जो ज्ञान और विद्या की देवी मानी जाती हैं। यह मठ उन विद्वानों और साधकों का केंद्र बना, जो वेद, उपनिषद, और शास्त्रों का गहन अध्ययन करना चाहते थे।

शारदा पीठ का महत्व

  1. अद्वैत वेदांत का प्रचार-प्रसार:
    यहाँ अद्वैत वेदांत का गहन अध्ययन, चर्चा और शिक्षा दी जाती है।
  2. सामवेद का प्रतिनिधित्व:
    शारदा पीठ का संबंध सामवेद से है। यह मठ सामवेद के गूढ़ रहस्यों को सिखाने और समझाने का कार्य करता है।
  3. महावाक्य:
    इस मठ का महावाक्य है — “तत्त्वमसि” (तू वही है — ब्रह्म और जीव एक ही हैं)।
  4. गुरु-शिष्य परंपरा का पालन:
    इस मठ में आज भी शंकराचार्य परंपरा के अनुसार गुरु-शिष्य परंपरा का पालन होता है।
  5. सांस्कृतिक केंद्र:
    यह मठ न केवल धार्मिक कार्यों का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक आयोजनों, संस्कृत शिक्षा, और वेद पाठशालाओं के संचालन का भी केंद्र है।

शारदा पीठ की विशेषताएँ

  • मठ परिसर में एक भव्य मंदिर है, जहाँ मां शारदा की पूजा की जाती है।
  • मठ में नियमित रूप से यज्ञ, वेदपाठ, धर्मसभा और वेदांत से जुड़े संगोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं।
  • देश-विदेश से श्रद्धालु और विद्वान यहाँ अध्ययन करने आते हैं।
  • मठ के संरक्षण में कई संस्कृत महाविद्यालय और विद्यालय संचालित होते हैं।

वर्तमान में शारदा पीठ

वर्तमान समय में शारदा पीठ धार्मिक जागरूकता, समाज सेवा, और संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। यहाँ से हर वर्ष अनेक वेदपाठी, पंडित और विद्वान तैयार होते हैं, जो धर्म और संस्कृति की सेवा में लग जाते हैं। शारदा पीठ, अद्वैत वेदांत के प्रसार का एक मजबूत स्तंभ है।


FAQs

1. शारदा पीठ की स्थापना किसने की थी?
शारदा पीठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में की थी।

2. शारदा पीठ कहाँ स्थित है?
यह मठ गुजरात के द्वारका नगरी में स्थित है।

3. शारदा पीठ किस वेद से संबंधित है?
यह मठ सामवेद से संबंधित है।

4. शारदा पीठ का महावाक्य क्या है?
इस मठ का महावाक्य है — “तत्त्वमसि”

5. शारदा पीठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
वेदों, उपनिषदों और अद्वैत वेदांत का प्रचार-प्रसार और सनातन धर्म की रक्षा करना।


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