
गोवर्धन मठ का इतिहास, महत्व और सनातन धर्म में योगदान
सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण के लिए आदि शंकराचार्य ने भारत के चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी। इनमें से पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करने वाला मठ है गोवर्धन मठ, जिसे पुरी गोवर्धन पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यह मठ ना केवल वेदों की शिक्षा का केंद्र है, बल्कि अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रचार-प्रसार का भी प्रमुख स्थान है।
गोवर्धन मठ का इतिहास
गोवर्धन मठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में की। पुरी, उड़ीसा में स्थित इस मठ का नाम भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उठाए गए ‘गोवर्धन पर्वत’ के नाम पर रखा गया है, जो धर्म रक्षा का प्रतीक है। माना जाता है कि जब शंकराचार्य जी पुरी पहुँचे, तब उन्होंने यहां वैदिक शिक्षा और सनातन धर्म के प्रसार के लिए इस मठ की नींव रखी।
पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के निकट यह मठ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र है। मठ का उद्देश्य वेद, उपनिषद और अद्वैत वेदांत को संरक्षित कर अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना है।
गोवर्धन मठ का महत्त्व
- अद्वैत वेदांत का प्रचार:
गोवर्धन मठ से अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का प्रसार किया जाता है, जिसमें ब्रह्म और जीव की एकता का संदेश है। - वेदों का संरक्षण:
मठ में वेदों का पठन-पाठन और विद्वानों द्वारा व्याख्या की जाती है। - पूर्व दिशा का केंद्र:
चारों मठों में गोवर्धन मठ पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करता है और इसका क्षेत्राधिकार पूर्वी भारत में फैला हुआ है। - महावाक्य:
इस मठ से जुड़ा महावाक्य है — “प्रज्ञानं ब्रह्म” (ज्ञान ही ब्रह्म है)। - धार्मिक अनुष्ठान और समारोह:
यहाँ नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, वेदपाठ, शास्त्रार्थ और पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
गोवर्धन मठ की विशेषताएँ
- यहाँ परंपरागत गुरु-शिष्य परंपरा का पालन होता है।
- शंकराचार्य की गद्दी हमेशा विद्वान और आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध संत को दी जाती है।
- पूरे पूर्व भारत में सनातन धर्म के प्रसार और रक्षा का दायित्व इस मठ पर है।
- विभिन्न संस्कृत विद्यालय इस मठ से जुड़े हैं जहाँ वैदिक शिक्षा दी जाती है।
वर्तमान में गोवर्धन मठ
वर्तमान समय में गोवर्धन मठ न केवल धार्मिक शिक्षा का केंद्र है, बल्कि सामाजिक सेवा, धर्म जागरण और राष्ट्रीय एकता के लिए भी काम कर रहा है। यहाँ साल भर वेद सम्मलेन, धार्मिक संगोष्ठियाँ और विद्वानों के विचार विमर्श आयोजित होते रहते हैं। मठ द्वारा कई गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है ताकि वे वेद और संस्कृति की शिक्षा ग्रहण कर सकें।
FAQs
1. गोवर्धन मठ की स्थापना किसने की थी?
गोवर्धन मठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में की थी।
2. गोवर्धन मठ कहाँ स्थित है?
यह मठ पुरी, उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ मंदिर के निकट स्थित है।
3. गोवर्धन मठ किस वेद से संबंधित है?
यह मठ ऋग्वेद से संबंधित है।
4. गोवर्धन मठ का महावाक्य क्या है?
इस मठ का महावाक्य है — “प्रज्ञानं ब्रह्म”।
5. गोवर्धन मठ का उद्देश्य क्या है?
इस मठ का उद्देश्य वेदों, उपनिषदों और अद्वैत वेदांत के ज्ञान को संरक्षित करना और समाज में फैलाना है।