
गढ़कालिका मंदिर उज्जैन शहर के बाहरी इलाके में गढ़कालिका गांव में स्थित है, जो शहर के मुख्य क्षेत्र से लगभग 10-12 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर खासकर शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और माँ कालिका की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
गढ़कालिका मंदिर का स्थान
- मंदिर उज्जैन-शाजापुर मार्ग पर स्थित है, जो महाकालेश्वर मंदिर से थोड़ी दूर है।
- यह गढ़कालिका गांव में स्थित होने के कारण इसका नाम गढ़कालिका मंदिर पड़ा है।
- यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के कारण तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
गढ़कालिका मंदिर की विशेषताएं
- धार्मिक महत्व:
- गढ़कालिका मंदिर माता कालिका के मंदिरों में प्रमुख है।
- यह मंदिर शक्ति पीठ के रूप में पवित्र माना जाता है, और यहाँ माँ कालिका की पूजा की जाती है।
- यहां देवी की मूर्ति बहुत ही आकर्षक और शक्तिशाली मानी जाती है।
- पूजा और अनुष्ठान:
- इस मंदिर में नियमित रूप से पूजा-अर्चना और विशेष अनुष्ठान होते हैं।
- विशेष रूप से नवरात्रि में यहाँ विशेष पूजा होती है।
- भक्तजन मां के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
- माँ कालिका की मूर्ति:
- इस मंदिर में माँ कालिका की प्राचीन और प्रतिष्ठित मूर्ति स्थापित है।
- माता कालिका को शेर पर सवार और उनके हाथ में त्रिशूल तथा अन्य अस्त्र हैं।
- प्राकृतिक सौंदर्य:
- मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
कैसे पहुंचे?
- रेलवे स्टेशन से दूरी:
- उज्जैन रेलवे स्टेशन से मंदिर लगभग 10-12 किमी दूर है।
- यह स्थल शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित है, और यहाँ पहुँचने के लिए निजी वाहन या टैक्सी का उपयोग किया जा सकता है।
- सड़क मार्ग:
- उज्जैन के प्रमुख मार्गों से गढ़कालिका मंदिर के लिए बसों और ऑटो रिक्शा का प्रबंध है।
- निकटतम प्रमुख स्थल:
- महाकालेश्वर मंदिर और रामघाट से यह स्थल आसानी से पहुंचा जा सकता है।
निष्कर्ष
गढ़कालिका मंदिर उज्जैन के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माँ कालिका की पूजा की जाती है। यह मंदिर अपनी धार्मिक महिमा और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने से भक्तों को शांति, शक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
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गढ़कालिका मंदिर उज्जैन में पीपली नाका के पास गढ़कालिका माता का मंदिर स्थित हैं।
मां गढ़कालिका का यह मंदिर भी क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है और अत्यंत शांति और सुकून भरा यहां जाने पर लगता है।
मां गढ़कालिका जहां विराजमान है वही क्षेत्र में कभी प्राचीन उन्हें बसा हुआ था। यहां पर मां लक्ष्मी और सरस्वती भी माता गढ़कालिका के साथ में विराजमान हैं। मां गड़कलिका के मंदिर के पास सती माता भी है साथ ही मंदिर के नजदीक ही समशान भी बना हुआ है।एम
महाकवि कालिदास भी मां गढ़कालिका के परम् उपासक थे।
धर्म ग्रंथ में कई सारे और तर्क भी मां गढ़कालिका के संदर्भ में दिए गए हैं (सक्तिपीठो के संदर्भ में)।