
सिद्धवट मंदिर उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर उज्जैन के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और पितृ तर्पण और पिंडदान के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
सिद्धवट मंदिर का स्थान
- यह मंदिर नरवर दरवाजा के पास, शिप्रा नदी के किनारे स्थित है।
- उज्जैन शहर के केंद्र से इसकी दूरी लगभग 2-3 किमी है।
- मंदिर का सटीक स्थान काल भैरव मंदिर के पास है, जो स्वयं एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
सिद्धवट का महत्व
- धार्मिक मान्यता:
- इसे हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थल माना जाता है, जहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं।
- यह स्थान चार प्रसिद्ध वट वृक्षों (अक्षयवट, वंशीवट, सिद्धवट, और गयावट) में से एक है।
- पितृ कर्म:
- यहाँ पर पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि यहां किए गए कर्मकांड से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पौराणिक कथा:
- मान्यता है कि यहाँ का वट वृक्ष भगवान शिव के आशीर्वाद से स्थापित हुआ है।
- यह वृक्ष अखंड है और इसे काटने पर भी यह फिर से उग आता है।
- शिप्रा नदी का महत्व:
- मंदिर के पास से बहने वाली शिप्रा नदी को पवित्र और मोक्षदायिनी माना गया है।
- यहां श्रद्धालु स्नान करके तर्पण और पूजा करते हैं।
कैसे पहुंचे?
- रेलवे स्टेशन से दूरी:
- उज्जैन रेलवे स्टेशन से सिद्धवट मंदिर लगभग 6 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग:
- यह मंदिर शहर के मुख्य मार्गों से जुड़ा हुआ है और ऑटो या टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- निकटतम मंदिर:
- काल भैरव मंदिर और रामघाट इस स्थान के निकट ही स्थित हैं।
निष्कर्ष
सिद्धवट मंदिर, शिप्रा नदी के किनारे स्थित, एक पवित्र और आध्यात्मिक स्थल है। यहां पितरों की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
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सिद्धवट तीर्थ उज्जैन से उत्तर दिशा में भैरवगढ़ में उज्जैन रेल्वे स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सिद्धवट मंदिर स्वयं में स्वयं भगवान शिव क्षिप्रा के किनारे बरगद या बड़ के पेड़ के नीचे विराजमान हैं जिसे सिद्धवट के नाम से जाना जाता है।
जिस वटवृक्ष(बरगद के पेड़)के नीचे भगवान शिव बैठे हुए है उसे मां पार्वती ने स्वयं अपने हाथों से लगाया था यह वटवृक्ष संसार के चार कल्पव्रक्षो के रूप में जाने जाते है जो कभी भी समाप्त नहीं होंगे।
यहां पर देश विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु पित्रो के तर्पण और श्राद्ध तथा मुक्ति की कामना हेतु पिंडदान करने आते हैं।
सिद्धवट तीर्थ में श्राद्ध पक्ष में बड़ी संख्या पितरों के निमित्त पिंडदान और तिलांजलि के लिए आते हैं और दान,पुण्य के साथ ब्राम्हणों को भोजन और दक्षिणा देते है और गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाते हैं।
ओर पुण्य सलिला मां क्षिप्रा के पावन जल में स्नान करते हुए भक्तजन अत्यंत आनंद और स्वयं को धन्य धन्य महसूस करते हैं।
यहां पर पिंड दान के अलावा मृत प्राणी के अस्थि आदि का विसर्जन और क्रियाकर्म भी किया जाता है।