
दुर्गा सप्तशती पाठ की सूची, पाठ विधि और महत्व पर परिचय: दुर्गा सप्तशती पाठ एक प्राचीन और पवित्र ग्रंथ है, जो देवी दुर्गा की महिमा, शक्ति और करुणा का विस्तृत वर्णन करता है। इस ग्रंथ में समाहित सात सौ श्लोक न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हैं, बल्कि जीवन में आने वाले अनेकों संकटों का समाधान भी देते हैं। पाठ विधि का सही क्रम और सटीक उच्चारण नित्य कर्म की तरह माना जाता है, जिससे भक्तों में न केवल श्रद्धा का संचार होता है, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक सामंजस्य भी प्राप्त होता है। यह सूची, विधि और महत्व का समुच्चय हमें नवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों पर अपने जीवन में देवी दुर्गा की अपार कृपा एवं संरक्षा का अनुभव कराता है, और हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसरित करता है।
दुर्गा सप्तशती क्या है?
दुर्गा सप्तशती हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली ग्रंथ है। इसे ‘चंडी पाठ’ भी कहा जाता है। इसमें कुल 700 श्लोक होते हैं, इसलिए इसे ‘सप्तशती’ कहा जाता है। यह पाठ मुख्यतः नवरात्रि में किया जाता है, लेकिन संकट के समय, किसी विशेष मनोकामना पूर्ति हेतु या आत्मबल प्राप्ति के लिए कभी भी किया जा सकता है।
दुर्गा सप्तशती के पाठ में तीन देवियों — महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती — के रूपों की स्तुति और उनके द्वारा असुरों के संहार की कथा वर्णित है।
दुर्गा सप्तशती पाठ की सूची (Durga Saptashati Path Ki List):
1. प्रारंभिक स्तुति (Starting Prayers):
- श्री गणेश वंदना
- गुरु वंदना
- देवी कवच (मां दुर्गा से रक्षा की प्रार्थना)
- अर्गला स्तोत्र (सभी बाधाओं को हटाने की प्रार्थना)
- कीलक स्तोत्र (सप्तशती के फल की प्राप्ति हेतु)
2. दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय (Durga Saptashati Path Ke 13 Adhyay):
प्रथम चरित्र (महाकाली कथा):
- प्रथम अध्याय: मदु और कैटभ वध कथा
- द्वितीय अध्याय: महिषासुर सेनानी का वध
- तृतीय अध्याय: महिषासुर का वध
द्वितीय चरित्र (महालक्ष्मी कथा):
- चतुर्थ अध्याय: शुंभ-निशुंभ के दूतों का वध
- पंचम अध्याय: चण्ड और मुण्ड का वध
- षष्ठ अध्याय: धूम्रलोचन का वध
- सप्तम अध्याय: रक्तबीज का वध
- अष्टम अध्याय: महिषासुर के अन्य सेनापतियों का वध
- नवम अध्याय: शुंभ और निशुंभ का युद्ध
तृतीय चरित्र (महासरस्वती कथा):
- दशम अध्याय: रुरु और निकृत्त का वध
- एकादश अध्याय: शुंभ और निशुंभ का संहार
- द्वादश अध्याय: देवी का स्तवन और आशीर्वाद
- त्रयोदश अध्याय: फलश्रुति और देवी का वरदान
3. पाठ के अंत में:
- सप्तश्लोकी दुर्गा
- देवी सूक्तम्
- क्षमा प्रार्थना
- जय अम्बे गौरी आरती
- प्रसाद वितरण

दुर्गा सप्तशती पाठ (Durga Saptashati Path) के लाभ:
- जीवन के हर संकट से रक्षा होती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है।
- शत्रु, रोग, भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- देवी मां की कृपा से जीवन में सफलता और विजय प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति का अचूक साधन है।
दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विशेष सलाह:
- पाठ शुरू करने से पहले गुरु और गणेश वंदना अवश्य करें।
- संकल्प लेकर ही पाठ प्रारंभ करें।
- पाठ के समय शुद्धता और एकाग्रता बेहद ज़रूरी है।
- उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
- नवरात्रि, मंगलवार और शुक्रवार को पाठ करना विशेष फलदायक माना जाता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: दुर्गा सप्तशती में कितने अध्याय होते हैं?
उत्तर: दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय और 700 श्लोक होते हैं।
Q2: क्या दुर्गा सप्तशती का पाठ घर पर किया जा सकता है?
उत्तर: हां, घर पर शुद्धता और श्रद्धा से इस पाठ को किया जा सकता है।
Q3: क्या नवरात्रि के अलावा भी सप्तशती का पाठ कर सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल! संकट के समय, मनोकामना पूर्ति हेतु या आत्मबल प्राप्ति के लिए कभी भी पाठ किया जा सकता है।
Q4: पाठ के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: पाठ के बाद देवी आरती करें, प्रसाद चढ़ाएं और सभी को बांटें। अंत में क्षमा प्रार्थना करना न भूलें।