दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व

दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही क्रम जानिए और जानिए किस दिन कौन सा अध्याय पढ़ना चाहिए दुर्गा सप्तशती हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र ग्रंथ है जिसमें 700 श्लोक होते हैं। इसे चंडी पाठ भी कहा जाता है। इसमें तीन महाशक्तियों—महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की कथाएँ वर्णित हैं, जो भक्तों के संकटों का नाश करती हैं। यह पाठ मुख्य रूप से नवरात्रि, विशेष संकट, शत्रु बाधा, या मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है।


दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही क्रम (दिन अनुसार पाठ विभाजन)

1. सप्तशती का 1 दिन में संपूर्ण पाठ (Ek Din Ka Path)

यदि कोई व्यक्ति एक ही दिन में सप्तशती का पाठ करना चाहता है, तो उसे कवच, अर्गला, कीलक स्तोत्र के बाद सभी 13 अध्यायों का पाठ करना चाहिए।

  • समय: सूर्योदय के बाद या संध्या काल
  • उपयुक्त दिन: नवरात्रि, मंगलवार, शुक्रवार या पूर्णिमा
  • विशेष लाभ: त्वरित मनोकामना पूर्ति, संकट निवारण और देवी की कृपा

2. दुर्गा सप्तशती पाठ करने का 7 दिवसीय क्रम (7 Din Ka Path)

दिनअध्याय संख्या
1कवच, अर्गला, कीलक, 1 से 3 अध्याय
24 और 5 अध्याय
36 और 7 अध्याय
48 और 9 अध्याय
510 और 11 अध्याय
612 अध्याय
713 अध्याय, समापन और आरती

विशेष लाभ: यह पाठ विधि संतुलित होती है और इसे सप्ताह भर में पूर्ण करने से भक्त को संपूर्ण फल प्राप्त होते हैं।


3. दुर्गा सप्तशती पाठ करने का 9 दिवसीय क्रम (9 Din Ka Path – नवरात्रि विशेष)

नवरात्रि में अधिकतर भक्त 9 दिनों में सप्तशती पाठ को पूरा करते हैं।

दिनपाठ क्रम
1कवच, अर्गला, कीलक, प्रथम अध्याय
2द्वितीय अध्याय
3तृतीय अध्याय
4चतुर्थ और पंचम अध्याय
5षष्ठ अध्याय
6सप्तम अध्याय
7अष्टम और नवम अध्याय
8दशम और एकादश अध्याय
9द्वादश और त्रयोदश अध्याय, समापन

विशेष लाभ: यह विधि नवरात्रि में शक्ति साधना करने वाले साधकों के लिए उत्तम मानी जाती है और भक्त को पूर्ण शक्ति व आशीर्वाद प्राप्त होता है।


4. दुर्गा सप्तशती पाठ का 3 दिवसीय क्रम (3 Din Ka Path – त्वरित साधना)

दिनअध्याय संख्या
1कवच, अर्गला, कीलक, प्रथम से पंचम अध्याय
2षष्ठ से नवम अध्याय
3दशम से त्रयोदश अध्याय, समापन

विशेष लाभ: यह विधि उन भक्तों के लिए है जो नवरात्रि या किसी अन्य विशेष अवसर पर तीव्र साधना करना चाहते हैं।


दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही क्रम जानिए
दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही क्रम जानिए

दुर्गा सप्तशती पाठ करने के नियम (Path Ke Niyam)

✅ पाठ से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
✅ पाठ स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।
✅ पाठ के दौरान पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता बनाए रखें।
✅ गलत उच्चारण न करें, सही शुद्ध मंत्रों का जाप करें।
✅ पाठ के बाद देवी की आरती और प्रसाद वितरण करें।


दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ (Durga Saptashati Path Ke Labh)

✔ जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
✔ परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
✔ शत्रुओं का नाश होता है और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
✔ धन, व्यवसाय और नौकरी में उन्नति होती है।
✔ देवी की कृपा से आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।


FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: दुर्गा सप्तशती पाठ किस दिन करना चाहिए?

✅ सप्तशती पाठ मंगलवार, शुक्रवार, नवरात्रि, पूर्णिमा या अमावस्या को करना विशेष फलदायी होता है।

Q2: क्या दुर्गा सप्तशती पाठ बिना गुरु के किया जा सकता है?

✅ हां, लेकिन उच्चारण शुद्ध हो और नियमों का पालन किया जाए।

Q3: क्या सप्तशती का पाठ घर में कर सकते हैं?

✅ हां, लेकिन पाठ के दौरान शुद्धता और नियमों का पालन करना आवश्यक है।

Q4: क्या सप्तशती पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो सकते हैं?

✅ हां, यह एक सिद्ध ग्रंथ है, जो सही विधि से करने पर भक्त के सभी संकटों का निवारण करता है।


निष्कर्ष

दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी मां की असीम कृपा पाने का सबसे प्रभावशाली माध्यम है। इसे 1 दिन, 3 दिन, 7 दिन या 9 दिन में पूरा किया जा सकता है। दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही क्रम, सही नियमों और श्रद्धा से किए गए पाठ से जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और सुरक्षा प्राप्त होती है।


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