
दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें – दुर्गा सप्तशती का पाठ एक पवित्र साधना है जो माता दुर्गा की अपार कृपा और ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित करने का अद्वितीय माध्यम है। इसे आरम्भ करने से पहले अपने मन, वाणी और वातावरण को शुद्ध करना आवश्यक है, ताकि आपकी भक्ति में पूर्ण एकाग्रता बनी रहे। पहले एक शांत एवं पवित्र स्थान का चयन करें, जहाँ आप बिना किसी विघ्न के ध्यान और समर्पण के साथ पाठ कर सकें। पाठ आरंभ करने से पूर्व माता की आराधना करें, जिससे आपके अंदर संतुलन और शांति का संचार हो। उचित उच्चारण और भाव के साथ, प्रत्येक श्लोक का ध्यानपूर्वक पाठ करें, जिससे दिव्य ऊर्जा का प्रभाव समस्त अस्तित्व में फैल सके। यह विधि न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी अनुभव कराती है।
दुर्गा सप्तशती का परिचय:
दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र ग्रंथ है जिसमें देवी दुर्गा के चमत्कार, शक्ति और उनके द्वारा असुरों का विनाश करने की कथाएँ लिखी हैं। इसमें कुल 700 श्लोक होते हैं, इसलिए इसे सप्तशती कहा जाता है। यह पाठ विशेष रूप से नवरात्रि में, संकट के समय और जीवन में सफलता प्राप्त करने हेतु किया जाता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ करने की संपूर्ण विधि:
1. समय और स्थान:
- प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
- देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
2. सामग्री:
- देवी की मूर्ति या फोटो
- धूप, दीपक, कपूर
- लाल पुष्प, रोली, चावल, नारियल, फल, मिष्ठान्न
- जल से भरा कलश, गंगाजल
3. प्रारंभिक तैयारी:
- सबसे पहले गणेश जी, माता दुर्गा और गुरु का ध्यान करें।
- हाथ जोड़कर संकल्प लें कि आप सप्तशती पाठ पूर्ण श्रद्धा से करेंगे।
4. पाठ का क्रम:
दुर्गा सप्तशती का पाठ तीन भागों में होता है:
- कवच (देवी माता से रक्षा की प्रार्थना)
- अर्गला स्तोत्र (सभी बाधाओं को हटाने की प्रार्थना)
- कीलक स्तोत्र (सप्तशती के फल की प्राप्ति के लिए)
- फिर 700 श्लोकों का मुख्य पाठ — जिसमें देवी के तीन रूप: महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के अवतार कथाएँ शामिल हैं।
- अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
5. पाठ का नियम:
- शुद्ध मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ करें।
- गलत उच्चारण से बचें, धीरे-धीरे और स्पष्ट उच्चारण करें।
- पाठ के दौरान मोबाइल, बातों और अन्य व्यवधानों से दूर रहें।
- 1 दिन, 3 दिन, 7 दिन या 9 दिन में पाठ पूरा किया जा सकता है।

दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही समय
- नवरात्रि में सुबह सूर्योदय के बाद और शाम को संध्या के समय पाठ करना श्रेष्ठ है।
- मंगलवार और शुक्रवार के दिन भी पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- किसी संकट के समय या मनोकामना पूर्ति के लिए 11 दिन तक लगातार पाठ करें।
दुर्गा सप्तशती पाठ के अद्भुत लाभ
- जीवन में चल रही बाधाओं और संकटों का अंत होता है।
- शत्रु भय, बुरी नजर और नेगेटिविटी समाप्त होती है।
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
- देवी मां की विशेष कृपा जीवनभर बनी रहती है।
- मनोकामना पूर्ति के लिए अचूक उपाय है।
दुर्गा सप्तशती का संकल्प मंत्र (उच्चारण से पहले):
मम समस्त दुःख, कष्ट, रोग, भय, शत्रु नाशार्थं
श्रीदुर्गा सप्तशती पाठं करिष्ये।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1: दुर्गा सप्तशती का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि, मंगलवार, शुक्रवार या किसी विशेष संकट के समय यह पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।
प्रश्न 2: क्या दुर्गा सप्तशती का पाठ घर में किया जा सकता है?
उत्तर: हां, इसे घर में स्वच्छता और श्रद्धा के साथ पढ़ सकते हैं।
प्रश्न 3: क्या पाठ करने के समय नियमों का पालन जरूरी है?
उत्तर: जी हां, नियम और उच्चारण का सही पालन करने से ही पूरा फल प्राप्त होता है।
प्रश्न 4: क्या सप्तशती का पाठ एक दिन में पूरा किया जा सकता है?
उत्तर: हां, एक दिन में भी पूरा किया जा सकता है या 3, 7, 9 अथवा 11 दिनों में भी विभाजित कर सकते हैं।