परिचय:

भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirling) उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से ३५८४ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और चार धाम यात्रा का प्रमुख केंद्र है। केदारनाथ मंदिर हिमालय की बर्फीली वादियों में स्थित एक अत्यंत पवित्र और दिव्य स्थान है, जहां भगवान शिव की उपस्थिति हर कण में अनुभव की जाती है।


केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा:

महाभारत काल की कथा के अनुसार, महाप्रलय के बाद पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की खोज में निकले। भगवान शिव पांडवों से नाराज होकर केदारनाथ की गुफाओं में छुप गए और उन्होंने बैल का रूप धारण कर लिया। जब पांडव उन्हें खोजते हुए पहुंचे, भीम ने बैल का पिछला भाग पकड़ लिया। तभी भगवान शिव बैल के रूप में अदृश्य हो गए और उनका पृष्ठ भाग केदारनाथ में प्रकट हुआ, जो आज केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजित है।


केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व:

  • केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे कठिन यात्रा वाला स्थल है।
  • यह तीर्थ स्थल श्रद्धा, साहस और आस्था का अद्भुत संगम है।
  • यहां दर्शन करने से पापों का नाश और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • हिमालय की ऊंचाइयों में स्थित यह मंदिर स्वयं में एक अलौकिक ऊर्जा का स्रोत है।

केदारनाथ मंदिर की विशेषताएं:

  • मंदिर का निर्माण प्राचीन पाषाण शिलाओं से किया गया है और यह 1000 से अधिक वर्षों पुराना है।
  • गर्भगृह में प्राकृतिक रूप से उभरा हुआ शिवलिंग स्थित है।
  • मंदिर के आसपास हिमालय की सुंदर चोटियां — केदार डोम, भरतकुंड, और मांडाकिनी नदी का पवित्र तट है।
  • मई से नवंबर तक मंदिर खुला रहता है और सर्दियों में भगवान केदारनाथ की पूजा उखिमठ में होती है।

पूजा विधि और आरती:

  • प्रातः मंगला आरती से लेकर रात्रि शयन आरती तक भगवान केदारनाथ की पूजा की जाती है।
  • अभिषेक में गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं।
  • यहां विशेष रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप भी कराए जाते हैं।

केदारनाथ यात्रा कैसे करें:

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: हरिद्वार (230 किलोमीटर)
  • निकटतम हवाई अड्डा: देहरादून (जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, 235 किलोमीटर)
  • सड़क मार्ग: गौरीकुंड से १६ किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद मंदिर पहुंचा जा सकता है। हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।

यात्रा का सर्वोत्तम समय:

  • मई से जून और सितंबर से नवंबर के बीच की अवधि सबसे बेहतर होती है।
  • बारिश और सर्दी के समय यात्रा कठिन हो जाती है।

केदारनाथ धाम के आसपास घूमने की जगहें:

  • वासुकी ताल
  • भीम शिला
  • शंकराचार्य समाधि स्थल
  • गौरीकुंड
  • सोनप्रयाग

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • केदारनाथ मंदिर हर वर्ष भारी बर्फबारी के बावजूद सुरक्षित रहता है।
  • मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया को खुलते हैं और भाई दूज को बंद होते हैं।
  • सर्दियों में भगवान केदारनाथ की पूजा उखिमठ में होती है।

FAQs:

Q1: केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Jyotirling) कहां स्थित है?
उत्तर: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में, हिमालय की ऊंचाई पर स्थित है।

Q2: केदारनाथ मंदिर की यात्रा कब शुरू होती है?
उत्तर: मंदिर के कपाट मई के महीने में अक्षय तृतीया को खुलते हैं और भाई दूज के दिन बंद होते हैं।

Q3: क्या केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है?
उत्तर: हां, फाटा, सिरसी और गुप्तकाशी से हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है।

Q4: केदारनाथ यात्रा कितनी कठिन है?
उत्तर: यह १६ किलोमीटर की ऊंचाई वाली कठिन पैदल यात्रा है, जिसमें श्रद्धा और तैयारी आवश्यक है।

Q5: केदारनाथ धाम के दर्शन से क्या लाभ मिलता है?
उत्तर: भगवान केदारनाथ के दर्शन से पापों का नाश, मोक्ष प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है।


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