
उज्जैन में कार्तिक मेला हर साल कार्तिक महीने में शिप्रा नदी के किनारे दत्त अखाड़ा क्षेत्र और उसके आस-पास के मैदान में आयोजित किया जाता है। यह मेला उज्जैन के प्रमुख मेलों में से एक है और धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र होता है।
कार्तिक मेले की विशेषताएं
- स्थान:
- मेला मुख्य रूप से दत्त अखाड़ा और शिप्रा नदी के पास लगता है।
- यहां का वातावरण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरपूर होता है।
- धार्मिक महत्व:
- कार्तिक माह को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है।
- मेले के दौरान भक्त शिप्रा नदी में स्नान करते हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं।
- सांस्कृतिक गतिविधियां:
- मेला क्षेत्र में झूले, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और लोक-नृत्य जैसे आयोजन होते हैं।
- ग्रामीण और शहरी व्यापारियों के लिए यह व्यापार का बड़ा केंद्र है।
- भक्तों का आगमन:
- इस मेले में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
- शिप्रा स्नान और कार्तिक पूजा के लिए यहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं।
कैसे पहुंचे?
- रेलवे: उज्जैन रेलवे स्टेशन से मेला स्थल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग: मेला स्थल उज्जैन के केंद्र से करीब 2-3 किमी की दूरी पर है और स्थानीय साधनों से पहुंचा जा सकता है।
निष्कर्ष
उज्जैन का कार्तिक मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी खास है। इसका आयोजन दत्त अखाड़ा और शिप्रा नदी के पास किया जाता है, जो उज्जैन की पवित्रता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
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उज्जैन में कार्तिक का मेला बड़नगर रोड और क्षिप्रा नदी के किनारे पर लगता है।
यह मेला हर वर्ष लगता है ठंडी या ठंड के दिनों में।
कार्तिक महीने में लगने वाले इस मेले में विभिन्न प्रकार के झूले, झकिया,खेल, सर्कस और रस्सी पर चलकर बच्चे करतब दिखाते हैं।
बच्चों के मनोरंजन के लिए मेले में छोटी झूला नाव, बड़ी झूला नाव,चौकोर घूमने वाले झूले,और ऊंचे -ऊंचे झूलों में झूलने का मौका कार्तिक के मेले में मिलता है बच्चे,बूढ़े,जवान,और कपल्स भी यहां पर घूमने और मेले का आनंद लेने के लिए आते हैं।
कार्तिक के मेले में खाने की चीजों में गराडू,गरमागरम जलेबियां, स्वादिष्ट पानीपुरी,सब्जी -पूरी,गरमागरम पराठे भी खाने के लिए मिल जाते हैं। कही पर ज्यूस की दुकानें है तो कहीं पर पेस्ट्री भी मिल जाती हैं।
महिलाओं के लिए कानों के झुमके, बाली, नाक के कांटे से लगाकर स्वेटर,बच्चों के लिए खिलौने और चमकीली गाडियां, बच्चों के स्वेटर, घरेलू उपयोग के लिए बर्तन,साड़ी,कपड़े , अर्थात जरूरत की ढेरों चीज़े कम कीमत पर मिल जाती है। यहां पर आप हाथों पर नाम भी गुदवा सकते हैं।
मनोरजन की बात करें तो आप कार्तिक मेले में गुण चलाकर निशाना साध सकते है गुब्बारों का और इसके अलावा भी कई सारे खेल खेलने को यहां पर आपको मिल जाएंगे।
यहां पर आपको उज्जैन के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए गाने और भजन, आदि भी प्रतिदिन सुनने को मिल जाएगा।
कार्तिक का मेला इस वर्ष 14 नवंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक चलेगा। अगर आपको कार्तिक मेला देखने जाना हो तो शाम के समय जाना बहुत अच्छा रहता है क्युकी चारों ओर चमकीली लाइट्स और खूबसूरत नजारे आपको रात के समय देखने को मिलेंगे।