गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है? – गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का पारंपरिक नववर्ष है, जिसे नयी उम्मीदों, ऊर्जा और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, लोग अपने घरों और वातावरण की साफ-सफाई करते हैं, गुड़ी सजाते हैं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा पारंपरिक व्यंजनों के साथ मिलकर खुशियों का स्वागत करते हैं। गुड़ी का ऊँचा उठाना सफलता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, जो नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। यह पर्व न केवल नए आरंभ का उत्सव है, बल्कि सामुदायिक एकता, पारिवारिक बंधनों और सांस्कृतिक विरासत का भी जश्न मनाता है।


गुड़ी पड़वा क्या है?

भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में नववर्ष अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उसी तरह महाराष्ट्र में चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। यह मराठी नववर्ष का पहला दिन होता है। यह दिन सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि गोवा और कोंकण क्षेत्र में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा का अर्थ होता है – ‘गुड़ी’ मतलब विजय का प्रतीक ध्वज और ‘पड़वा’ मतलब प्रतिपदा या पहला दिन। इस दिन को एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए यह दिन नवचेतना और नई शुरुआत का दिन होता है।

धार्मिक मान्यता

गुड़ी पड़वा को लेकर एक और धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय के प्रतीक रूप में घरों में गुड़ी (एक विशेष ध्वज) को लगाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा?

गुड़ी पड़वा के दिन सुबह-सवेरे स्नान करके घर की साफ-सफाई की जाती है। दरवाजों पर तोरण बांधे जाते हैं। फिर घर के बाहर या खिड़की पर बांस की लकड़ी पर रंग-बिरंगी साड़ी या कपड़ा बांधकर ऊपर नीम की पत्तियां, आम के पत्ते, और फूल लगाकर उस पर एक तांबे का कलश उलटा रख दिया जाता है। इसे ही गुड़ी कहते हैं।

गुड़ी को ऊंचा लगाने का महत्व होता है कि हमारे जीवन में भी ऊंचाई, सफलता और समृद्धि बनी रहे।

विशेष पकवान

गुड़ी पड़वा के दिन खासतौर पर पूरन पोली, श्रीखंड, पूरन की दाल, और मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके अलावा नीम और गुड़ का मिश्रण खाने का भी रिवाज है, जो जीवन में कड़वाहट और मिठास दोनों को स्वीकार करने का संदेश देता है।

सामाजिक महत्व

गुड़ी पड़वा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस दिन लोग अपने परिजनों और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां बांटते हैं, एक दूसरे को बधाई देते हैं और एक नई शुरुआत का संकल्प लेते हैं।

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है?
गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है?

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: गुड़ी पड़वा कब मनाया जाता है?
उत्तर: गुड़ी पड़वा चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो सामान्यतः मार्च या अप्रैल महीने में आता है।

प्रश्न 2: गुड़ी का क्या महत्व है?
उत्तर: गुड़ी विजय और समृद्धि का प्रतीक है। इसे ऊंचा लगाना इस बात का संकेत है कि हमारा जीवन भी ऊंचाइयों को छुए।

प्रश्न 3: क्या गुड़ी पड़वा केवल महाराष्ट्र में ही मनाया जाता है?
उत्तर: मुख्य रूप से यह महाराष्ट्र, गोवा और कोंकण क्षेत्र में मनाया जाता है, लेकिन आजकल इसे पूरे भारत में मराठी समाज द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

प्रश्न 4: गुड़ी पड़वा के दिन क्या विशेष पकवान बनते हैं?
उत्तर: इस दिन पूरन पोली, श्रीखंड, नीम-गुड़ मिश्रण, और कई पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं।


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