दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) का परिचय – दुर्गा अष्टमी, जिसे महाअष्टमी भी कहा जाता है, नवरात्रि के दौरान एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है जब देवी दुर्गा की अतुलनीय शक्ति, साहस और करुणा का विशेष उत्सव मनाया जाता है। यह दिन देवी के आक्रामक और रक्षात्मक रूप का स्मरण कराता है, जिससे भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है। महाअष्टमी पर श्रद्धालु उपासना, मंत्रों का जप एवं खास पूजा विधियों का अनुसरण करते हुए देवी के साथ अपनी आत्मिक लगन को प्रकट करते हैं। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि पारंपरिक रीतियों और सांस्कृतिक धरोहर का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो जीवन में सकारात्मकता, उत्साह और उन्नति का संचार करता है।


दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) क्या है?

नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी कहा जाता है। यह दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा का दिन होता है। अष्टमी तिथि को मां दुर्गा का विशेष पूजन और हवन किया जाता है। कई लोग इसे सबसे पवित्र दिन मानते हैं और इस दिन व्रत रखकर मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) का महत्व

मान्यता है कि महिषासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा ने इस दिन चंडी का रूप लिया था और शक्तियों के साथ राक्षसों का संहार किया था। इस दिन को शक्ति की आराधना का पर्व माना जाता है। महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से दुख, संकट और नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) पूजा की विधि

  • सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल अर्पित करें।
  • विशेष रूप से लाल रंग के फूल मां को चढ़ाएं।
  • मां को हलवा, पूड़ी, चना का भोग लगाएं।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या देवी मंत्रों का जाप करें।
  • कई लोग इस दिन कन्या पूजन करते हैं, जिसमें 9 छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है।

महाअष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व

महाअष्टमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि छोटी कन्याओं में मां दुर्गा का वास होता है। 9 कन्याओं और 1 लंगुरे (बालक) को बुलाकर उन्हें भोजन कराना और उपहार देना पुण्य का कार्य माना जाता है।

दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी)
दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी)

क्या खास है महाअष्टमी के दिन?

  • कई जगहों पर इस दिन बड़े स्तर पर हवन और यज्ञ किया जाता है।
  • दुर्गा पंडालों में विशेष पूजा और आरती होती है।
  • बंगाली समाज में इस दिन कुमारी पूजा का आयोजन होता है।
  • शक्ति पीठों और देवी मंदिरों में भारी भीड़ होती है।

दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) से जुड़ी मान्यताएं

  • ऐसा माना जाता है कि महाअष्टमी के दिन मां दुर्गा पृथ्वी पर अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।
  • इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना करने पर जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं।
  • महाअष्टमी का व्रत रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न 1: दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) कब मनाई जाती है?
उत्तर: नवरात्रि के आठवें दिन को महाअष्टमी कहा जाता है। यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है।

प्रश्न 2: दुर्गा अष्टमी (महाअष्टमी) पर कौन सी देवी की पूजा की जाती है?
उत्तर: अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है।

प्रश्न 3: महाअष्टमी के दिन क्या विशेष पूजा की जाती है?
उत्तर: इस दिन हवन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, देवी मंत्र जाप और कन्या पूजन किया जाता है।

प्रश्न 4: महाअष्टमी व्रत का क्या महत्व है?
उत्तर: महाअष्टमी व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य मिलता है, और सभी दुख दूर होते हैं।


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