दशा माता पूजन : एक पवित्र और धार्मिक अनुष्ठान

हिंदू धर्म में अनेक पर्व और व्रत हैं जो जीवन को आध्यात्मिकता और संतुलन से भरते हैं। इन्हीं में से एक है दशा माता पूजन, जो महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत और पूजा है। यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, सौभाग्य, और शांति के लिए की जाती है।


दशा माता कौन हैं?

दशा माता को हिंदू धर्म में दशा यानी जीवन की दशाओं (परिस्थितियों) की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि दशा माता की पूजा से जीवन की सभी विपत्तियां समाप्त होती हैं और शुभ फल प्राप्त होते हैं। वे सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्रतीक हैं। दशा माता का आशीर्वाद प्राप्त कर व्यक्ति अपने जीवन को संतुलित और सुखद बना सकता है।


दशा माता पूजन का महत्व

दशा माता पूजन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह पूजा जीवन में आने वाली बुरी परिस्थितियों को दूर करने, परिवार में शांति बनाए रखने और समृद्धि लाने के उद्देश्य से की जाती है।

  1. सुख और शांति का आह्वान: इस पूजा के माध्यम से जीवन में सुख-शांति का आह्वान किया जाता है।
  2. कठिनाइयों का निवारण: दशा माता को समर्पित व्रत और पूजा से जीवन की समस्याओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

दशा माता व्रत की विधि

दशा माता व्रत मुख्यतः महिलाएं करती हैं। यह व्रत पारंपरिक रीति-रिवाजों और धार्मिक नियमों का पालन करते हुए किया जाता है।

1. व्रत का पालन:

  • दशा माता व्रत को मंगलवार या गुरुवार के दिन करना शुभ माना जाता है।
  • इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं।
  • पूरे दिन निर्जला व्रत (बिना पानी के) रखने का विधान है।

2. पूजा सामग्री:

दशा माता पूजन के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • चावल
  • हल्दी और कुमकुम
  • फूल
  • दीपक
  • नारियल
  • पंचामृत
  • मिठाई या प्रसाद

3. पूजा की प्रक्रिया:

  • पूजा स्थल को स्वच्छ करके रंगोली बनाई जाती है।
  • दशा माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
  • हल्दी और कुमकुम से दशा माता को तिलक लगाकर पूजा शुरू की जाती है।
  • माता को चावल, फूल, और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  • परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

दशा माता की कथा

दशा माता व्रत के साथ एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। इस कथा का श्रवण पूजा के समय किया जाता है। कथा के अनुसार, एक बार एक स्त्री ने दशा माता का व्रत किया और उनके आशीर्वाद से उसके परिवार की दशा बदल गई। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि दशा माता का व्रत श्रद्धा और समर्पण से करने पर जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।


दशा माता व्रत के लाभ

  1. जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
  2. आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
  3. परिवार में प्रेम और एकता बनी रहती है।
  4. जीवन में आने वाले कष्टों का निवारण होता है।
  5. मन को शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।

दशा माता पूजन

इस दिन महिलाएं नए वस्त्र पहन कर पीपल के वृक्ष पर कच्चा सूत का धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं।और दशा माता की कंकू,चावल,हल्दी,और फूल के साथ नारियल और जल के छींटे डालकर पूजा करती हैं।

उसके पश्चात हाथों से  छोटा सा चौकोर खेत बनाकर उसमें गेहूं के दाने बोए जाते है और इस खेत की भी पूजा की जाती है और उसको हाथो से पानी डालकर सिंचाई की जाती है।

इसके बाद महिलाएं घर जाकर हाथों में हल्दी लेकर दोनों हाथों से घर की दीवारों पर पांच या सात छापे लगाती हैं।और उन हाथों पर कंकू की बिंदिया भी लगाती है।

सभी विवाहित और अविवाहित लड़कियों और सुहागनों को दशा माता की पूजन जरूर करनी चाहिए।


निष्कर्ष

दशा माता पूजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक शांति का स्रोत भी है। यह पूजा हर महिला को अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए करनी चाहिए। दशा माता का आशीर्वाद प्राप्त कर हम अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर सकते हैं और इसे खुशहाल बना सकते हैं।