क्षिप्रा नदी का उद्गम स्थान

क्षिप्रा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में स्थित कर्कराज पर्वत से हुआ है। यह पर्वत विंध्याचल पर्वतमाला का एक हिस्सा है और समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 600-700 मीटर है। इस नदी का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों, पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है, जो इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है।

धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व

  1. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – क्षिप्रा नदी का सबसे बड़ा धार्मिक महत्व उज्जैन में देखने को मिलता है, जहां यह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास से प्रवाहित होती है। इस कारण यह नदी श्रद्धालुओं के लिए पवित्र मानी जाती है।
  2. सिंहस्थ कुंभ मेला – उज्जैन में हर 12 वर्षों में सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
  3. पुराणों में उल्लेख – स्कंद पुराण, पद्म पुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी क्षिप्रा नदी का वर्णन मिलता है। इसे मोक्ष प्रदान करने वाली नदी कहा गया है।
  4. विक्रमादित्य और उज्जयिनी – राजा विक्रमादित्य की राजधानी उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित थी। यहाँ भारत का प्रसिद्ध विक्रम संवत भी शुरू हुआ था।
  5. सप्तऋषियों की तपोभूमि – मान्यता है कि सप्तऋषियों ने क्षिप्रा नदी के तट पर कठोर तपस्या की थी, जिससे यह स्थान और भी पवित्र हो गया।

क्षिप्रा नदी का प्रवाह एवं संगम

क्षिप्रा नदी की कुल लंबाई लगभग 195 किलोमीटर है। यह नदी चंबल नदी की एक सहायक नदी है, जो आगे जाकर यमुना और फिर गंगा नदी में मिलती है। इसका प्रवाह मार्ग मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन और रतलाम जिलों से होकर गुजरता है।

क्षिप्रा नदी का आधुनिक परिदृश्य

वर्तमान में क्षिप्रा नदी का जलस्तर कई स्थानों पर कम हो गया है, जिससे इसके पुनर्जीवन के प्रयास किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना के तहत नर्मदा नदी से क्षिप्रा नदी को जोड़ा है, जिससे इसका जलस्तर बढ़ाने और इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है।

क्षिप्रा नदी न केवल एक जलधारा है, बल्कि भारत की संस्कृति, आस्था और इतिहास की प्रतीक भी है। उज्जैन में इसका धार्मिक महत्व सबसे अधिक है, और यह हिंदू धर्म की पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है। क्षिप्रा के किनारे ही कई महत्वपूर्ण मंदिर, तीर्थस्थल और ऐतिहासिक धरोहर स्थित हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।