
परिचय:
आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी 2025 का महत्व, कथा, पूजन विधि और लाभ। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। वर्ष में दो बार आने वाली पुत्रदा एकादशी का स्थान विशेष है। पहली एकादशी पौष माह में और दूसरी श्रावण मास में मनाई जाती है। 2025 में पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।
पुत्रदा एकादशी 2025 का महत्व:
पुत्रदा एकादशी का व्रत उन दंपतियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जिन्हें संतान सुख की इच्छा होती है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, वैभव और मोक्ष की प्राप्ति भी कराता है। इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा:
प्राचीन समय की बात है, महीस्मति नगरी के राजा सुकेतुमि और उनकी पत्नी के संतान नहीं थी। इस कारण वे अत्यंत दुखी थे। संतान सुख की प्राप्ति के लिए राजा और रानी ने मुनि शौरी से उपाय पूछा। मुनि ने उन्हें पौष माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। राजा ने विधिपूर्वक व्रत किया और अगले समय में उन्हें सुंदर एवं गुणवान पुत्र की प्राप्ति हुई। तब से यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए विशेष रूप से माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी 2025 पूजन विधि:
- व्रत वाले दिन प्रातः स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- व्रत का संकल्प लें और दिनभर निराहार रहें।
- घर में गंगाजल का छिड़काव करके पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- पीले फूल, तुलसी दल, धूप-दीप से भगवान का पूजन करें।
- श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें।
- रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को दान दें और अन्न ग्रहण करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ:
- संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
- पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- जीवन में मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- विष्णु भगवान की कृपा से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं।
FAQs:
Q1. पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि क्या है?
A1. पुत्रदा एकादशी 2025 की सही तिथि की घोषणा पंचांग के अनुसार होगी, कृपया अपने स्थानीय पंचांग देखें।
Q2. क्या पुत्रदा एकादशी व्रत केवल संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है?
A2. मुख्य रूप से यह व्रत संतान सुख के लिए किया जाता है, लेकिन यह जीवन में समृद्धि और पापों के नाश के लिए भी लाभकारी होता है।
Q3. व्रत में क्या फलाहार किया जा सकता है?
A3. इस व्रत में फल, दूध, और सूखे मेवे का सेवन किया जाता है। अन्न का त्याग करना चाहिए।
Q4. व्रत का पारण कब किया जाता है?
A4. द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने के पश्चात स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए।
Q5. क्या पुत्रदा एकादशी व्रत स्त्रियां भी कर सकती हैं?
A5. हां, यह व्रत स्त्रियां भी संतान प्राप्ति और परिवार की समृद्धि हेतु कर सकती हैं।