विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य द्वारा की गई थी। राजा विक्रमादित्य एक महान हिंदू शासक थे, जिनका शासन भारत में प्राचीन काल में हुआ। विक्रमादित्य का सम्राट विक्रम के नाम से प्रसिद्ध होना उनके न्याय, वीरता और धार्मिक कार्यों के लिए था।

विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में हुई थी, और इसे “विक्रम सम्वत” नाम दिया गया, जो राजा विक्रमादित्य के नाम पर आधारित है। इस संवत का उपयोग मुख्य रूप से भारत, नेपाल और कुछ अन्य दक्षिण एशियाई देशों में आज भी किया जाता है।

विक्रम संवत को सौर वर्ष के आधार पर चलाया जाता है, और यह नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होता है, जो आमतौर पर मार्च और अप्रैल के बीच आता है।

विक्रम संवत के प्रमुख बिंदु:

  1. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष की शुरुआत।
  2. यह संवत सौर कैलेंडर पर आधारित है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर चंद्र कैलेंडर पर आधारित है।
  3. इसे मुख्य रूप से भारतीय हिन्दू और जैन कैलेंडर में उपयोग किया जाता है।

इस प्रकार विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य द्वारा की गई, और यह आज भी हमारे कैलेंडर और पर्व-त्योहारों के हिसाब से महत्वपूर्ण है।