
भारत के चार शंकराचार्य मठ — उनका सार, विशेषताएँ और आपसी तुलना
आदि शंकराचार्य जी ने 8वीं शताब्दी में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और अद्वैत वेदांत की स्थिरता हेतु चार दिशाओं में चार महत्वपूर्ण मठों की स्थापना की थी। ये मठ आज भी भारतीय संस्कृति, धर्म और वेद परंपरा को जीवित रखते हुए समाज को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं। आइए भारत के चार शंकराचार्य मठ के सार और आपसी तुलना को जानें:
1. गोवर्धन मठ (पूर्व दिशा, पुरी)
- स्थान: पुरी, ओडिशा
- संस्थापक: आदि शंकराचार्य
- वेद: ऋग्वेद
- महावाक्य: “प्रज्ञानं ब्रह्म” (ब्रह्म ही सर्वोच्च ज्ञान है)
- विशेषता: पूर्व भारत में धर्म और वैदिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र।
2. द्वारका शारदा पीठ (पश्चिम दिशा, द्वारका)
- स्थान: द्वारका, गुजरात
- संस्थापक: आदि शंकराचार्य
- वेद: सामवेद
- महावाक्य: “तत्त्वमसि” (तू वही है — आत्मा और ब्रह्म एक हैं)
- विशेषता: पश्चिम भारत में अद्वैत वेदांत और सामवेद के प्रचार का केंद्र।
3. ज्योतिर्मठ (उत्तर दिशा, बद्रीनाथ)
- स्थान: बद्रीनाथ, उत्तराखंड
- संस्थापक: आदि शंकराचार्य
- वेद: अथर्ववेद
- महावाक्य: “अयमात्मा ब्रह्म” (यह आत्मा ही ब्रह्म है)
- विशेषता: उत्तर भारत में सनातन धर्म और वेद प्रचार का मुख्य आधार।
4. श्रृंगेरी शारदा पीठ (दक्षिण दिशा, कर्नाटक)
- स्थान: श्रृंगेरी, कर्नाटक
- संस्थापक: आदि शंकराचार्य
- वेद: यजुर्वेद
- महावाक्य: “अहं ब्रह्मास्मि” (मैं ही ब्रह्म हूँ)
- विशेषता: दक्षिण भारत में अद्वैत वेदांत और संस्कृति का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित केंद्र।
चारों मठों की तुलना सारणी
मठ का नाम | दिशा | स्थान | वेद | महावाक्य | विशेषता |
---|---|---|---|---|---|
गोवर्धन मठ | पूर्व | पुरी, ओडिशा | ऋग्वेद | प्रज्ञानं ब्रह्म | पूर्व भारत का प्रमुख वेदांत केंद्र |
द्वारका शारदा पीठ | पश्चिम | द्वारका, गुजरात | सामवेद | तत्त्वमसि | पश्चिम में अद्वैत और सामवेद शिक्षा का केंद्र |
ज्योतिर्मठ | उत्तर | बद्रीनाथ, उत्तराखंड | अथर्ववेद | अयमात्मा ब्रह्म | उत्तर भारत का प्रमुख धर्म स्थल |
श्रृंगेरी शारदा पीठ | दक्षिण | श्रृंगेरी, कर्नाटक | यजुर्वेद | अहं ब्रह्मास्मि | दक्षिण में संस्कृति और वेदांत का आधार केंद्र |
निष्कर्ष
ये भारत के चार शंकराचार्य मठ भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की रीढ़ हैं। इन मठों ने न केवल वेदांत के सिद्धांतों को जीवित रखा है, बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी धर्म, संस्कृति और वैदिक परंपराओं को भी मजबूत किया है। आज भी ये मठ समाज सेवा, शिक्षा, धार्मिक जागरूकता और संस्कृतिक संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
FAQs
1. भारत के चार शंकराचार्य मठ कौन-कौन से हैं?
गोवर्धन मठ (पुरी), द्वारका शारदा पीठ (द्वारका), ज्योतिर्मठ (बद्रीनाथ), और श्रृंगेरी शारदा पीठ (श्रृंगेरी)।
2. इन चारों मठों की स्थापना किसने की थी?
आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इन मठों की स्थापना की थी।
3. इन मठों का उद्देश्य क्या है?
वेद, उपनिषद और अद्वैत वेदांत का प्रचार और सनातन धर्म की रक्षा करना।
4. क्या ये मठ आज भी सक्रिय हैं?
हाँ, ये मठ आज भी समाज सेवा, शिक्षा, धर्म प्रचार और संस्कृत भाषा के संरक्षण में सक्रिय हैं।
5. इन मठों का महावाक्य क्या है?
हर मठ का अलग महावाक्य है:
- गोवर्धन मठ — प्रज्ञानं ब्रह्म
- द्वारका पीठ — तत्त्वमसि
- ज्योतिर्मठ — अयमात्मा ब्रह्म
- श्रृंगेरी पीठ — अहं ब्रह्मास्मि